26वीं बरसी: आज भी 1992 का दिन अयोध्या के लोगों को डराता है

आज से 26 साल पहले यानि 6 दिसंबर 1992 को लाखों की संख्या में कारसेवकों ने अयोध्या पहुंचकर वहां बाबरी मस्जिद को गिरा दिया. उग्र भीड़ ने लगभग 5 घंटे में ढांचे को तोड़ दिया, जिसके बाद देशभर में सांप्रदायिक दंगे हुए और इसमें कई बेगुनाहों की जान चली गई. वहीं आज भी लोग जब इस दिन को याद करते हैं तो सहम जाते हैं. यहां के लोगों का कहना है कि ऐसा दिन उनके दोबारा कभी देखने को न मिले.

आज भी डरते हैं लोग

अयोध्या के ही ऑटो ड्राइवर मोहम्मद आजिम जब भी 6 दिसंबर 1992 के दिन को याद करते हैं तो सहम उठते हैं. वो बताते हैं कि  कुछ अन्य बाशिंदों के साथ अपनी जान की खारित उन्होंने खेतों में शरण ली थी. उस वक्त महज वो 20 साल के थे. उन्होंने बताया कि ‘उन्मादी कारसेवकों की फौज ने बाबरी मस्जिद ढहा दी थी, जिसके बाद यहां अशांति एवं डर का माहौल बन गया था. हम इतने डर गए थे कि हमें ये नहीं पता था कि हम क्या करें.’ ऐसे में अब 46 साल के आजिम फिर से कुछ नेताऔं के द्वारा उठाया जा रहा राम मंदिर का मुद्दा सुनते हैं तो डर उठते हैं.

यादें नहीं जाती

यहां के लोग बताते है कि वो हर साल उन्हें इस दिन 1992 के दिन की याद आ जाती है. ये लोग अतीत को पीछे छोड़ने का प्रयास करते हैं, लेकिन उस दिन की यादें उन्हें आ ही जाती है. जब-जब यहां राम मंदिर या अन्य मुद्दे उठते हैं तो उनके जख्म हरे हो जाते हैं.

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वहीं यहीं के निवासी मोहम्मद मस्लिम जो कि 78 साल के हैं वो बताते हैं कि ‘तब हम असुरक्षित थे और आज भी हम असुरक्षा महसूस करते हैं जब बाहर से बीड़ हमारे शहर की तरफ आती है.’ यहां के लोगों का साफतौर पर कहना है कि उस वक्त का मंजर बड़ा डरावना था और हम एक और अयोध्या त्रासदी नहीं चाहते हैं.

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