काशी में 25 से 27 नवंबर तक बुलाई गई धर्मसंसद, जारी होगा ‘धर्मादेश’

काशी में 25 से 27 नवंबर तक बुलाई गई धर्मसंसद, जारी होगा 'धर्मादेश'

हाल ही में दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में 2 दिवसीय संत सम्मेलन में राम मंदिर पर अध्यादेश या कानून और केंद्र में मोदी सरकार की वापसी का ‘धर्मादेश’ पारित हुआ, लेकिन पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र काशी में अब धर्मसंसद बुलाई गई है. हालांकि, आमतौर पर धर्मादेश धर्मसंसद से ही पारित होता है. 25 नवंबर से 27 नवंबर तक ये धर्मसंसद चलेगी. इसमें राम मंदिर समेत सनातन धर्म से संबंधित सभी विषयों पर चर्चा के बाद ही धर्मादेश आएगा.

वाराणसी में आयोजित होने वाले 3 दिवसीय सनातन वैदिक हिंदू परम धर्म संसद के लिए अस्थायी भवन निर्माण के लिए भूमि पूजन का काम शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद के शिष्य प्रतिनिधि और धर्मसंसद के संयोजक स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद के सानिध्य में काशी के सीरगोवर्धन गांव में हुआ. शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद के शिष्य और धर्मसंसद के संयोजक स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने बताया कि वर्तमान समय में सनातन धर्म संक्रमण काल से गुजर रहा है. सनातनी परंपराओं और मूल्यों पर अनवरत प्रहार किया जा रहा है. क्योंकि धर्म की रक्षा का दायित्व सर्वप्रथम संतों का है. इसलिए ये धमसंसद बुलाई जा रही है.

ये भी पढ़ें: पीएम मोदी के बाद आज सीएम योगी छत्तीसगढ़ में गरमाएंगे चुनावी हवा, ताबड़-तोड़ सभाएं

स्वामी ने बताया कि इस धर्मसंसद में देश के सभी 543 जिलों के 1008 साधू संत हिस्सा लेंगे. साथ ही खुद शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद इसके संचालन के लिए 3 दिनों तक काशी में ही रहेंगे. अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा कि दिल्ली में कार्यक्रम हुआ वो कोई धर्मसंसद नहीं था जिससे धर्मादेश निकले, बल्कि ये एक संत सम्मेलन था. साथ ही उन्होंने कहा कि जो धर्मादेश दिल्ली में निकला वो विरोधाभासी है. संत एक तरफ तो कह रहे हैं कि मोदी सरकार नं हिंदू धर्म की रक्षा के लिए संतोषजनक कार्य किए, लेकिन राम मंदिर का निर्माण नहीं हो पाया. उन्होंने कहा कि ये कैसे हो सकता है कि आप काम भी करें और राम मंदिर छूट जाए. दो ही बातें हो सकती हैं पहला या तो आपने काम ठीक से नहीं किया या किया ही नहीं.

स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा कि काशी में आयोजित होने वाली धर्मसंसद सिर्फ राम मंदिर पर केंद्रित नहीं होगी बल्कि इसमें गंगा की दुर्दशा समेत सनातन धर्म से जुड़े सभी मुद्दों पर चर्चा होगी और जिस मुद्दे को सबसे ज्यादा वरियता दी जाएगी उसको प्राथमिकता के आधार पर सबसे ऊपर रखते हुए धर्मादेश पारित होगा. साथ ही इस धर्मादेश की चर्चा प्रयाग में होने वाले महाकुंभ में भी होगी. साथ ही उन्होंने कहा कि इस धर्मसंसद को लेकर देश भर के साधू संत काफी उत्साहित हैं और इससे पहले 15 नवंबर को सभी राज्यों की राजधानी में एक साथ संतों द्वारा प्रेस कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया जाएगा और 16 नवंबर को स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद दिल्ली में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर आगे रणनीति के बारे में अवगत कराएंगे.

Previous articleकर्नाटक में टीपू जयंती के मौके पर सड़कों पर संग्राम, धारा 144 लागू
Next articleमुकुल उपाध्याय ने मायावती और भाई पर लगाया गंभीर आरोप, कहा टिकट के लिए मांगे 5 करोड़