पत्रकार की गिरफ्तारी को लेकर क्यों बिहार के राज्यपाल और महिला नेता चर्चा में हैं 

नई दिल्ली। राजस्थान के बाड़मेर में एक पत्रकार की गिरफ्तारी से बिहार के राज्यपाल सवालों के घेरे में आ गए हैं. मामला बाड़मेर की एक युवा महिला नेता से जुड़ा है जिसकी महामहिम से निकटता है. गिरफ्तार पत्रकार दुर्ग सिंह राजपुरोहित पर बिहार में में एससी-एसटी एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज बताया गया है. राजपुरोहित का कहना है कि उन्हें महामहिम के बाड़मेर कनेक्शन की खोज-खबर करने पर साजिश में फंसाया गया है. महिला नेता उन्हें सबक सिखाने की बात कह चुकी थी.

दुर्ग सिंह राजपुरोहित एक टीवी चैनल के लिए काम करते हैं. रविवार को उन्हें बाड़मेर पुलिस ने गिरफ्तार किया. बताया गया कि बिहार की किसी अदालत से गिरफ्तारी का वारंट है. राजपुरोहित को लेकर रविवार शाम ही पुलिस सड़क मार्ग से पटना रवाना हो गयी. राजपुरोहित ने फोन पर ‘राजसत्ता एक्सप्रेस’ को बताया कि उनके पास फोन आया कि एसपी साहब मिलना चाहते हैं. जब वह एसपी दफ्तर पहुंचे तो अचानक गिरफ्तार कर लिया गया. पुलिस ने बताया कि एसपी साहब के पास व्हाट्स एप पर बिहार की अदालत का वारंट आया है. हालांकि ना ही उस वारंट की प्रति उन्हें दी गयी और ना ही किसी वकील से बात करने का मौक़ा दिया गया.

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मजे की बात यह भी है कि कथित वारंट तो बिहार का बताया गया है लेकिन उन्हें पकड़ने बिहार पुलिस बाड़मेर नहीं आयी बल्कि राजस्थान पुलिस के लोग ही उन्हें लेकर बिहार रवाना हुए. बिहार की अदालत में राजस्थान पुलिस अभियुक्त किस हैसियत से पेश करेगी यह भी समझ के बाहर है. सामान्यतः जहाँ मामला दर्ज होता है वहीँ की पुलिस अभियुक्त को गिरफ्तार करने आती है. ‘राजसत्ता एक्सप्रेस’ से जब उनकी बात हुई तब वह गोरखपुर के पास थे. राजपुरोहित ने कहा-पिता हड़बड़ी में जरूर साथ हो लिए बाकी लोग पहुँच रहे हैं. मैंने तो बिहार की धरती पर कदम ही नहीं रखा आज तक, वहां के आदमी के उत्पीड़न का तो सवाल ही नहीं उठता. पूरा मुकदमा झूठा है, अभी तक यह भी नहीं बताया गया है कि वादी कौन है. लेकिन कोई सुनने को तैयार ही नहीं है.

राज्यपाल सतपाल मालिक को लेकर हो रही चर्चा पर राजपुरोहित ने बताया कि महामहिम पिछले दिसंबर से मार्च के बीच कई दफा बाड़मेर आए. राज्यपाल के बाढ़मेर आने पर उनका खूब स्वागत किया गया था विडियो में खुद प्रियंका चौधरी उनका स्वागत करते हुए देखी जा सकती हैं. किसी सरकारी गेस्ट हाउस की बजाय वह तीन-तीन दिन तक स्थानीय भाजपा नेता प्रियंका चौधरी के आवास पर रुके. प्रियंका बाड़मेर के लोकप्रिय नेता रहे स्वर्गीय गंगा राम चौधरी की पोती हैं. खुद स्थानीय निकाय यूआईटी की अध्यक्ष हैं और भाजपा के टिकट पर उन्होंने बाड़मेर से पिछ्ला विधानसभा चुनाव लड़ा था और वो हार गयीं थीं. बकौल राजपुरोहित शुरुआत एक कश्मीरी युवक को लेकर खबर चलाने से हुई. कुपवाड़ा का रहने वाला यह युवक स्थानीय भाजपा पार्षद के कैफे में काम करता था.

प्रियंका की अगुवाई में राज्यपाल के स्वागत का विडियो

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कश्मीरी युवक एक लड़की को लेकर पांच-छह महीने पहले भाग गया था. लड़की के घरवालों ने इसे लव जिहाद का मामला बताया. उस कश्मीरी युवक ने अपने फेसबुक पर बिहार के राज्यपाल के साथ खींची गयी सेल्फी पोस्ट की. उन्होंने इसे लेकर खबर चलाई कि एक कैफे पर काम करने वाला मामूली युवक, जोकि बाड़मेर से फरार भी है, राज्यपाल के निकट कैसे पहुँच गया. चूंकि कैफे मालिक पार्षद प्रियंका चौधरी के ख़ास समर्थकों में शामिल है इसलिए वह भाजपा नेताओं के निशाने पर आ गए, उनपर हमला भी हुआ.

राजपुरोहित ने मालिक के पूरे लाव लश्कर के साथ बार बार बाड़मेर आने पर भी बतौर पत्रकार सवाल उठाए. संवैधानिक पद पर आसीन मालिक का एक भाजपा नेता के यहां सरकारी खर्च पर निजी दौरे की तरह बार-बार आना तमाम कारणों से चर्चा में रहा. राजपुरोहित ने कहा -गंगा राम चौधरी के रहते राज्यपाल महोदय कभी नहीं आये. भाजपा कार्यकर्ताओं से मेल-मुलाक़ात और प्रियंका के कार्यक्रमों में राज्यपाल की चर्चित उपस्थिति लेकर उन्होंने खबर भी चलाई और अपने फेसबुक पेज पर टिपण्णी की. राज्यपाल खुद जाट हैं और बाड़मेर जाट बहुल इलाका है, ऐसे में उनकी उपस्थिति राजनीतिक लाभ भी पहुंचा सकती है. बकौल राजपुरोहित,  प्रियंका ने अपने कार्यकर्ताओं से कहा था कि इसे तो मैं पटना तक घसीटूंगी और मुकदमा भी पटना में दर्ज हुआ है.

ऐसे में यह कयास स्वाभाविक हैं कि प्रियंका को राज्यपाल से संबंध का खामियाजा उन्हें भुगतना पड़ रहा है. बताया जा रहा है कि बिहार के मूल निवासी जिस व्यक्ति तरफ से मुकदमा दर्ज करवाया गया है वह प्रियंका चौधरी के यहां ही काम करता है. हालांकि अभी कुछ भी स्पष्ट नहीं है मगर राजपुरोहित की गिरफ्तारी सोशल मीडिया पर पत्रकारों के बीच छायी हुई है.

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