अटल जी की जीती-जागती जीवनी हैं शिवकुमार पारीक, पीएम ने भी याद किया निःस्वार्थ समर्पण

पूर्व प्रधानमंत्री और भारत रत्न स्व. अटल बिहारी वाजपेयी के जिक्र के बिना भारतीय लोकतंत्र का इतिहास नहीं लिखा जा सकता तो शिवकुमार पारीक के जिक्र के बिना अटल जी की जीवनी नहीं लिखी जा सकती। अटल जी का साए की तरह 55 साल तक साथ निभाने वाले शिवकुमार ने बीती तीन दिसंबर को अपना 80वां जन्मदिन मनाया।

इस मौके पर जुटी हस्तियों ने अहसास करवाया कि शिवकुमार पारीक और उनके प्रिय नेता का क्या रिश्ता था, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चुनाव प्रचार में व्यस्तता की वजह से खुद तो नहीं पहुंच सके मगर पत्र भेजकर उन्होंने पारीक जी को शुभकामनाएं दीं और अटल जी के प्रति उनके निःस्वार्थ समर्पण को याद किया।

कहानी अटल-शिवकुमार के ‘अटल रिश्ते’ की

अटल जी ने अपना पहला लोकसभा चुनाव 1955 में लड़ा था। जिसमें उनकी हार हुई। दो साल बाद 1957 में वो पहली बार लोकसभा चुनाव में जीत कर संसद में कदम रखा। अटल जी की ख्याति दिनों दिन बढ़ी, कुछ ही दिनों में अपनी वाकपटुता से वो देश की राजनीति के उभरते सितारे बन चुके थे. इसी दौरान जनसंघ के संस्थापक श्यामा प्रसाद मुखर्जी की रहस्यमय हालत में मौत हो गई। उनकी मौत से सब स्तब्ध थे।

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लोगों को अटल जी की सुरक्षा की चिंता हुई जो जनसंघ की जड़ें मजबूत करने के लिए बगैर किसी सुरक्षा व्यवस्था के देश व्यापी भ्रमण पर रहते थे। किसी ने सुझाव दिया कि वाजपेयी को एक ऐसे सहयोगी की जरूरत है, जो उनकी रक्षा भी करे. काफी तलाश के बाद चित्रकूट के नानाजी देशमुख ने नाम सुझाया राजस्थान के जयपुर के निवासी शिवकुमार का. जी हां, शिवकुमार का अटल बिहारी वाजपेयी से जुड़ना किसी इत्‍तेफाक से कम नहीं था. पहले शिवकुमार आरएसएस के हार्डकोर स्वयंसेवक थे. अपने लम्बे -चौड़े गठीले शरीर और बड़ी रौबदार मूंछो के कारण वो औरों से अलग दिखते थे।

 

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वाजपेयी के रक्षक बनकर आए शिवकुमार

जयपुर निवासी शिवकुमार पारीक भगवान शंकर के परम भक्त हैं। उन्होंने  वाजपेयी का सहचर बिना किसी स्वार्थ के बनने का फैसला किया। कालान्तर में दोनों के बीच ऐसा मित्रवत सम्बन्ध बना जो निःस्वार्थ समर्पण की मिसाल बन गया। शिवकुमार अटल जी के सबसे करीबी लोगों में शुमार रहे। उनके हर दुख-सुख के साथी  साथी शिवकुमार जी को वाजपेयी के निजी सहायक के तौर पर पहचाना जाता है।

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बलरामपुर के अलावा वे वाजपेयी के हर चुनाव में उनके चुनाव एजेंट रहे. वाजपेई का लोकसभा क्षेत्र हमेशा उन्हीं के हवाले रहा, अटल जी के प्रतिनिधि के तौर पर उन्होंने  हर जगह अपनी भूमिका निभाई। पार्टी के शिखर पुरुष के प्रतिनिधि से भारतीय जनता पार्टी का शायद ही कोई नेता हो जो परिचित ना हो।

जन्मदिन पर जुटी नेताओं और शुभचिंतकों की भीड़ 

तीन दिसंबर को नई दिल्ली के चाणक्य पूरी स्थित PSOI क्लब में उनके छोटे पुत्र दिनेश पारीक वा बहू अलका पारीक ने जन्मदिन पार्टी आयोजित की। इसमें देर रात तक गणमान्य मेहमानों ने शिरकत की। पूर्व उपप्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी व उनकी पुत्री प्रतिभा आडवाणी,, वित्त मंत्री अरुण जेटली, गृह मंत्री राजनाथ सिंह, रेल मंत्री पीयूष गोयल, लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन, पूर्व प्रधानमंत्री की दत्तक पुत्री नमिता भट्टाचार्य उनके पति रंजन भट्टाचार्या समेत तमाम सांसदों और आरएसएस से जुड़े पदाधिकारियों ने शिवकुमार जी को शुभकामनाएं दीं। उनकी दीर्घायु की कामना की।

 प्रधानमंत्री को भी पहुंचना था लेकिन तेलंगाना चुनाव प्रचार में व्यस्तता के कारण वह नहीं पहुँच सके। एन वक़्त पर कार्यक्रम निरस्त हुआ लेकिन प्रधानमंत्री ने शुभकामना सन्देश भेज कर अटल जी के जीवन और राष्ट्र निर्माण में शिवकुमार जी की भूमिका को याद किया। प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि – मैं सौभाग्यशाली हूं जो मुझे सदैव आपकी शुभकामनाएं हासिल हुईं।

 

पार्टी की अन्य फोटो।

 

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