ऑनलाइन पटाखों की बिक्री पर सुप्रीम कोर्ट की रोक

Supreme Court stops selling online firecrackers

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने पटाखों की बिक्री और पटाखे छोड़ने पर मंगलवार को फैसला सुनाया. कोर्ट ने निर्देश जारी करते हुए कम एमिशन वाले पटाखों को ही इजाजत मिली है. वहीं सुप्रीम कोर्ट की तरफ से कहा गया कि दीपावली पर सिर्फ लाइसेंस वाले दुकानदार ही पटाखे बेच सकेंगे. साथ ही ऑनलाइन पटाखों की बिक्री पर पूरी तरह से रोक लगा दी गई है. ऑनलाइन पटाखों की बिक्री पर कोर्ट की तरफ से कहा गया कि ऐसा करना अवमानना माना जाएगा.

अपने फैसले में कोर्ट ने कहा कि दीवाली के मौके पर रात 8 बजे से रात 10 के बीच ही पटाखे छोड़ सकेंगे. साथ ही कोर्ट ने ये भी कहा कि इस आदेश पर अमल करने के लिए हर इलाके का एसएचओ जवाबदेह होगा और अगर इस आदेश का पालन नहीं हुआ तो एसएचओ को निजी तौर पर कोर्ट की अवमानना का दोषी माना जाएगा.

वहीं कोर्ट की तरफ से कहा गया कि कोशिश की जाए कि कम प्रदूषण वाले पटाखों का इस्तेमाल हो ताकि पर्यावरण को कोई नुकसान ना पहुंच पाए. न्यायमूर्ति ए.के. सीकरी और न्यायमूर्ति अशोक भूषण की पीठ ने कहा कि हालांकि मामला सोमवार को सूचीबद्ध था, वे 23 अक्टूबर को अपना फैसला सुनाएंगे.

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शीर्ष अदालत ने 28 अगस्त को वायु प्रदूषण के चलते बिगड़ते हालात को नियंत्रित करने के मद्देनजर पूरे देश में पटाखों पर प्रतिबंध लगाने वाली याचिका पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था. अदालत ने याचिकाकर्ताओं, पटाखा निर्माताओं और केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) का पक्ष सुनने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था.

सर्वोच्च न्यायालय ने कहा था कि स्वास्थ्य का अधिकार और व्यापार या व्यवसाय चलाने के अधिकार के बीच सामंजस्य बनाने की जरूरत है. पटाखा निर्माण करने वालों ने अपना पक्ष रखते हुए कहा था कि दिवाली के दौरान केवल पटाखे प्रदूषण बढ़ाने की एकमात्र वजह नहीं है. यह प्रदूषण बढ़ाने वाला एक कारक है और इस आधार पर पूरे उद्योग को बंद नहीं किया जा सकता.

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अदालत ने सुनवाई के दौरान वायु प्रदूषण की वजह से बच्चों में श्वास की समस्याओं के बढ़ने को लेकर भी चिंता जताई थी और कहा था कि वह इस पर निर्णय करेगी कि क्या पटाखे फोड़ने पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया जाएगा या मुनासिब नियंत्रण स्थापित किया जाएगा. शीर्ष अदालत ने 2017 में दिवाली के दौरान दिल्ली-एनसीआर में पटाखों की बिक्री पर प्रतिबंध लगा दिया था.

SOURCEIANS
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