देवभूमि उत्तराखंड में शुरु होगा ‘गोत्र’ पर्यटन

देश की राजनीति में गोत्र और जाति जिसतरह शामिल हुई है, उसकी चर्चा देश ही नहीं विदेशी मीडिया में भी है। हाल ही में राहुल गांधी के गोत्र को लेकर दिन भर टीवी चैनलों में चर्चा रही। वहीं एक कदम आगे देवभूमि उत्तराखंड में पर्यटन विभाग अब गोत्र पर्यटन को बढ़ावा देने की दिशा में कदम बढ़ाने की तैयारी कर रहा है।

उत्तराखंड को देव भूमि व ऋषि मुनियों की तपस्थली के रूप में जाना जाता है।  यही कारण है कि सदियों से श्रद्धालु इस देवभूमि में स्थित चारधाम के साथ ही हरिद्वार व ऋषिकेश जैसे धार्मिक स्थलों पर दर्शन को आते हैं। इन स्थानों पर पहले से ही आने वाले लोगों का हिसाब पोथियों में संजो कर रखा जाता है। हालांकि, बहुत कम श्रद्धालुओं को ही इसकी जानकारी है।

सरकार का मानना है कि लोगों को अपने पुरखों के बारे में जानने का बड़ी दिलचस्पी रहती है। ऐसे में जो लोग अपने पूर्वजों के बारे में जानना चाहते हैं। वो थोड़ी खोजबीन करें तो अपने पुरखों के बारे में भी जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। इसमें पर्यटन विभाग ऐसी पोथियों का संकलन करने वालों तक पर्यटकों को पहुंचाएगा।

विभाग बनाएगा विशिष्ट गोत्र चिह्न

पर्यटन विभाग सभी प्रचलित गोत्रों के विशिष्ट चिह्न बनाएगा। गोत्र से संबंधित ऋषियों के तप स्थल, ईष्टदेव व उनके आश्रमों के संबंध में ग्रंथों में वर्णित स्थानों का चिह्नीकरण किया जाएगा। इसके आधार पर पर्यटक अपने गोत्र के अनुसार भ्रमण पर जा सकेंगे।

क्या होता है गोत्र

गोत्र का शाब्दिक अर्थ होता है, उत्पति का केंद्र। शास्त्रों के मुताबिक सभी लोग किसी न किसी ऋषि की संतानें हैं। इसीलिए हर गोत्र किसी न किसी ऋषि के नाम का है। जिसको बहुत कम लोग जानते हैं। कुछ लोगों को अपने गोत्र की जानकारी है, लेकिन उस ऋषि की खासियत क्या है, उनका कितना इतिहास में नाम है। कोई नहीं जानता। क्यों उन्हें ऋषियों की श्रेणी में इतना ऊंचा स्थान दिया गया, उत्तराखंड से उनका क्या लगाव था, यह बहुत कम लोगों को पता है। अब उत्तराखंड पर्यटन विभाग गोत्र जानने के इच्छुक पर्यटकों को पूरी जानकारी उपलब्ध कराने की तैयारी में है।उत्तराखंड आने वाला पर्यटक अपने गोत्र के बारे में पूरी जानकारी हासिल करने के साथ ही यह जान सकें कि उनके पूर्वज कब इन धार्मिक स्थानों पर आए थे।

त्रिवेंद्र सिंह रावत, मुख्यमंत्री
त्रिवेंद्र सिंह रावत, मुख्यमंत्री

‘उत्तराखंड देवभूमि और ऋषि-मुनियों की तपस्थली रही है। देश-विदेश से लोग धार्मिक पर्यटन के लिए यहां आते हैं। यहां आने वाले पर्यटकों को अपने पूर्वज और अपने गोत्र के विषय जानकारी उपलब्ध हो, इसके लिए प्रयास किए जा रहे हैं। निश्चित रूप से इससे प्रदेश में पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा।’

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