देवी के नवदिनों के इतना ही महत्व है नवसंवत्सर का, जानिए क्यों?

देवी के नव दिन के नवरात्रि शुरू होने वाले हैं. इसके साथ ही नवसंवत्सर की भी शुरूआत हो रही है. देवी के नव दिनों में उनके भक्त उनकी उपासना, ध्यान और पूजा पाठ करते हैं. आपको यह भी बता दें कि नवसंवत्सर यानि हिंदू मान्यता के अनुसार इसदिन से हिंदी नववर्ष का शुभारंभ होता है.
ज्योतिषशास्त्र के मुताबिक माना जाता है कि चैत्र मास में यदि कुछ उपायों को अपनाया जाए. तो आने वाला पूरा वर्ष शुभ और मंगलमय हो सकता है. मान्यता यह भी है कि इस माह में दान दक्षिणा जरूर करनी चाहिए.

नवसंवत्सर की विशेषता और इसका ज्योतिषीय महत्व

चैत्र मास को ज्योतिष में बड़ा ही शुभ और पुण्य फलदायी माना गया है. पुराणों के अनुसार चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा को. ब्रह्मा जी ने इस सृष्टि का निर्माण किया था. इसीलिए इस पावन तिथि को नवसंवत्सर पर्व के रूप में भी मनाया जाता है. चैत्र मास में ही देवी कृपा के 9 दिन यानी नवरात्रि भी आती है और इसी पवित्र मास की नवमी तिथि को प्रभु राम का भी जन्म हुआ था. इसलिए चैत्र का महीना परमफलदायी माना गया है. मां को लाल रंग बेहद पसंद है तो उन्हें लाल-लाल जोड़ा और भोग लगाना न भूलें.

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