लखनऊ। वरिष्ठ कलाकारों और कला विद्यार्थियों के संवाद तथा विभिन्न कलाओं के साझा मंच बने लखनऊ कला रंग का मंगलवार को शुभारंभ हुआ। प्रसिद्ध चित्रकार नन्द कत्याल, पटना कला महाविद्यालय के पूर्व प्राचार्य पांडेय सुरेंद्र, प्रसिद्ध छायाकार अनिल रिसाल सिंह की उपस्थिति में इस कला महोत्सव का आरंभ हुआ। उद्घाटन के अवसर पर कैनवास पर वरिष्ठ कलाकारों एवं कला विद्यार्थियों ने संयुक्त रूप से चित्र बनाए।
उद्घाटन समारोह को सम्बोधित करते हुए प्रसिद्ध चित्रकार और अपने पोट्रेट के लिए खास तौर पर चर्चित नन्द कत्याल ने कहा कि कला हमें स्वतंत्रता देती है। हम कैनवास पर चीजों को वह रंग दे सकते हैं जो हमें पसंद हैं। उन्होंने कहा कि कला में आकाश नीला हो सकता है, काला हो सकता है या किसी और रंग का हो सकता है। आकाश पृथ्वी के नीचे भी हो सकता है या जड़ें पेड़ के ऊपर। कला में ही हमें इस प्रकार की स्वतंत्रता मिलती है।
गोमती नगर स्थित बौद्ध संस्थान में आयोजित समारोह में कत्याल ने कहा कि कला में हमें वह करना चाहिए जो हमारा मन करे, हमें अच्छा लगे। उन्होंने कहा कि एक बच्चा स्वतंत्र रूप से रंगों और रेखाओं का आनंद उठाता है लेकिन जब वह बड़ा होता है तो उस पर तरह तरह के दबाव होते हैं, प्रभाव होते हैं।
प्रसिद्ध मूर्तिकार पांडेय सुरेंद्र ने कहा कि कला या साहित्य में हम जितना कुछ कहते हैं, उससे अधिक छिपाते हैं। उन्होंने कहा कि कला में दूसरे देशों की ओर भागने की जगह हमें भारतीयता से जुड़ना होगा। उन्होंने कहा कि अपनी जड़ों से जुड़कर ही हमें अपने भारतीय कला की पहचान मिलेगी।
प्रसिद्ध छायाकार अनिल रिसाल सिंह ने कहा कि कलाओं के प्रति युवाओं में जागरूकता जरूरी है जिसमें इस महोत्सव की महत्वपूर्ण भूमिका है। उन्होंने लगातार दूसरे वर्ष कलारंग के आयोजन की बधाई दी। संस्कृतिकर्मी दीपक कबीर ने कहा कि कलाएं मनुष्य को संवेदनशील बनाती हैं। लखनऊ कला रंग के संस्थापक निदेशक आलोक पराड़कर ने कहा कि ललित कला से जुड़े आयोजनों की कमी के मद्देनजर पिछले वर्ष इस आयोजन की शुरुआत हुई थी और इसे कलाकारों और कलाप्रेमियों का अपार स्नेह मिला। समन्वयक निकिता सरीन ने धन्यवाद ज्ञापन किया।
आज कलाओं के अन्तरसम्बन्ध पर संगोष्ठी
लखनऊ कला रंग के दूसरे दिन बुधवार को कलाओं के अन्तरसम्बन्ध पर ‘मिलती है कलाएं’ विषयक संगोष्ठी होगी। पूर्वाह्न 11.30 बजे से आयोजित संगोष्ठी में रंगकर्मी सूर्यमोहन कुलश्रेष्ठ, नाटककार राजेश कुमार, नृत्यांगना कुमकुम धर, छायाकार अनिल रिसाल सिंह एवं आजेश जायसवाल, शकुंतला विश्वविद्यालय के प्रोफेसर राजीव नयन विचार व्यक्त करेंगे।