जम्मू-कश्मीर के पूर्व सीएम और नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता फारूक अब्दुल्ला की नजरबंदी को खत्म कर दिया गया है. राज्य सरकार ने शुक्रवार को नजरबंदी खत्म करने का आदेश जारी किया. गत वर्ष 4 अगस्त से वो नजरबंद थे. करीब 7 महीने बाद सरकार ने उनकी नजरबंदी को खत्म किया है. हालांकि, वह अभी भी हाउस अरेस्ट हैं.
आपको बता दें कि 5 अगस्त को जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाने के बाद से घाटी में किसी भी अप्रिय घटना से बचने के लिए वहां के स्थानीय नेताओं को नजरबंद कर लिया गया था. इनमें फारूक अब्दुल्ला, उमर अब्दुल्ला, महबूबा मुफ्ती और सज्जाद लोन समेत कई नेता शामिल थे.
इस बीच फारुक अब्दुल्ला के पुत्र पर पीएसए लगाए जाने कि खिलाफ उनकी बहन सारा अब्दुल्लाह ने सर्वोच्च न्यायालय में हेबियस कोरपस याचिका दायर की थी. पीडीपी नेता मेहबूबा मुफ्ती के बेटी इल्तिजा ने भी बाद में ये याचिका सुप्रीम कोर्ट में दायर की थी.
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उमर और महबूबा अभी भी हिरासत में
फारूक अब्दुल्ला के अलावा उनके बेटे और पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला, महबूबा मुफ्ती, आईएएस अफसर से नेता बने शाह फैसल समेत कई नेताओं पर पीएसए के तहत केस दर्ज किया गया था. इसके बाद सभी नेताओं को हिरासत में ले लिया गया. अभी उमर अब्दुल्ला, महबूबा मुफ्ती, शाह फैसल समेत कई नेता हिरासत में हैं.
PSA के तहत 396 लोगों पर कार्रवाई
कुछ दिन पहले ही गृह राज्य मंत्री जी. किशन रेड्डी ने बताया था कि जम्मू-कश्मीर में 396 लोगों को पीएसए के तहत हिरासत में लिया गया है. उन्होंने कहा था कि हिरासत में लिए गए कुल 451 में से 396 लोगों को पीएसए के तहत हिरासत में रखा गया है. जिन लोगों को पीएसए के तहत हिरासत या नजरबंद रखा गया है, उनमें तीन पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती, उमर अब्दुल्ला और फारूक अब्दुल्ला भी शामिल हैं. इसमें से फारूक को आज रिहा कर दिया गया
इन तीन नेताओं फारूक अब्दुल्ला, उमर अब्दुल्ला, महबूबा मुफ्ती की रिहाई की कई दिनों से मांग हो रही थी. सुप्रीम कोर्ट में भी इसके लिए याचिकाएं दायर की गई थीं. संसद के दोनों सदनों में यह मामला उठा था. इस पर गृह मंत्री अमित शाह ने कहा था, मैं यह बताना चाहता हूं कि हम किसी को एक दिन भी जेल में नहीं रखना चाहते हैं. जब जम्मू एवं कश्मीर का प्रशासन निर्णय करेगा उन्हें रिहा कर दिया जाएगा.