काशी मंदिर के 10 पुजारी नहीं करा सकेंगे अनुष्ठान, जानें क्या है मामला?

काशी मंदिर के 10 पुजारी नहीं करा सकेंगे अनुष्ठान, पाए गए ‘भ्रष्ट’

वाराणसी: काशी विश्वनाथ मंदिर के अंदर दस पुजारियों को पूजा करने से रोक दिया गया है. साथ ही, भ्रष्टाचार और दुर्व्यवहार के आरोपों के बाद मंदिर प्रशासन ने उनके पहचान पत्र भी रद्द कर दिए हैं. ‘निशुल्क शास्त्री’ के नाम से जाने जाने वाले पुजारियों को मंदिर में भक्तों के प्रवेश की सुविधा का काम सौंपा गया था. यह अलग बात है कि इन पुजारियों ने भक्तों का ही शोषण शुरू कर दिया. न सिर्फ श्रद्धा के नाम पर भक्तों से धन ऐंठने लगे, बल्कि सुविधाओं की कथित बिक्री भी करने लगे. यह तब है जब एक ‘सुगम दर्शन’ टिकट के लिए 300 रुपये के भुगतान के खिलाफ संबंधित भक्तों की सुविधा के लिए नियुक्त प्रत्येक पुजारी को 30 रुपये का भुगतान किया जाता है.

वाराणसी के संभागीय आयुक्त दीपक अग्रवाल ने कहा, ‘मंदिर में लगे कुछ पुजारियों के खिलाफ कई शिकायतें मिली थीं, ताकि टिकट खरीदने के बाद भक्तों को प्रवेश की सुविधा मिल सके. खासकर ‘सुगम दर्शन’ के लिए, ताकि कतारों में लंबा समय न लगे. यह आरोप लगाया गया था कि बाद में भक्तों को मंदिर के अंदर ले जाकर ये पुजारी उनसे जबरन दूध निकालने की रस्म अदा करते थे.’ उन्होंने कहा, ‘शिकायतों की संख्या बढ़ने के साथ ही साक्ष्य जमा किए गए, जिसमें 10 ‘शास्त्री’ कदाचार में लिप्त पाए गए, जिसके बाद उन्हें अनुष्ठान करने से रोकने की कार्रवाई शुरू की गई.’

मंदिर के अधिकारियों के अनुसार, ‘निशुल्क शास्त्री’ की श्रेणी के पुजारी मंदिर के हेल्प-डेस्क द्वारा लगे हुए हैं ताकि भक्तों को टिकट खरीदकर मंदिर में प्रवेश करने में सुविधा हो. एक ‘सुगम दर्शन’ टिकट के लिए 300 रुपये के भुगतान के खिलाफ संबंधित भक्तों की सुविधा के लिए नियुक्त प्रत्येक पुजारी को 30 रुपये का भुगतान किया जाता है. इस श्रेणी में बड़ी संख्या में पुजारी श्रावण के महीने के दौरान प्रत्येक टिकट पर भुगतान की गई वास्तविक राशि प्राप्त करके केवल 1 लाख रुपये से अधिक कमाते हैं, जब मंदिर में आने वाले भक्तों की संख्या बढ़ जाती है.’

अधिकारियों ने बताया कि मंदिर में चल रहे कुछ निर्माण कार्य के चलते सीसीटीवी नेटवर्क बंद होने का फायदा उठाकर पुजारी कदाचार में लिप्त होने लगे. अग्रवाल ने कहा कि वरिष्ठ पुजारियों और मंदिर के कर्मचारियों की एक बैठक बुलाई गई, जिसमें यह स्पष्ट किया गया कि पवित्र मंदिर की छवि को खराब करने वालों को मंदिर में काम करने में योगदान नहीं दिया जाएगा. गौरतलब है कि किसी धार्मिक संस्था से जुड़े लोगों के कदाचार में लिप्त पाए जाने का यहकोई पहला मामला नहीं है. इसके पहले भी इसतरह के मामले सामने आते रहे हैं. फिलवक्त देवस्थानम बोर्ड में भी ऐसा ही एक मामला चल रहा है.


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