रांची। झारखंड की चंपाई सोरेन सरकार पर संकट आ गया है। इसकी वजह गठबंधन में शामिल कांग्रेस के विधायक हैं। झारखंड में कांग्रेस के 12 विधायक मंत्री न बनाए जाने से नाराज हैं। इन नाराज विधायकों में अनूप सिंह, अंबा प्रसाद, विक्सल कोंगड़ी, दीपिका पांडे और इरफान अंसारी हैं। अनूप सिंह का दावा है कि उनके साथ कांग्रेस के 12 विधायक हैं और उन्होंने अपनी बात प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष राजेश ठाकुर से कही है। राजेश ठाकुर ने एबीपी न्यूज से कहा कि वो विधायकों की चिंता को आलाकमान तक पहुंचा रहे हैं। ठाकुर के मुताबिक हर व्यक्ति अपने करियर की तरक्की चाहता है। ऐसे में साफ है कि कांग्रेस विधायकों की चंपाई सोरेन सरकार से नाराजगी को प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष भी एक तरह से सही मान रहे हैं। चर्चा इसकी भी है कि कांग्रेस के नाराज विधायक जयपुर जा सकते हैं। इससे झारखंड में ऑपरेशन लोटस की भी अटकलें लग रही हैं। कांग्रेस के साथ ही जेएमएम के विधायक बैद्यनाथ राम भी अपनी नाराजगी जता चुके हैं और उनका आरोप है कि अपमान किया गया।
#WATCH | Ranchi: On removing his name from the cabinet list, JMM MLA Baidyanath Ram says, "The decision of dropping my name from the cabinet is completely wrong. I am disappointed with this disrespect towards me… the reason behind this is pressure from Congress." pic.twitter.com/LRWAVUYnrC
— ANI (@ANI) February 17, 2024
झारखंड विधानसभा में 81 सदस्य हैं। झारखंड मुक्ति मोर्चा यानी जेएमएम ने कांग्रेस, सीपीआई-एमएल और आरजेडी के साथ मिलकर सरकार बनाई हुई है। जेएमएम के 29, कांग्रेस के 17, आरजेडी का 1 और सीपीआई-एमएल का 1 विधायक हैं। अगर कांग्रेस के 12 विधायक टूट जाते हैं, तो इससे चंपाई सोरेन सरकार बहुमत का आंकड़ा खो देगी। सीएम चंपाई सोरेन ने शुक्रवार को मंत्रीमंडल का विस्तार किया था। उन्होंने कांग्रेस से बन्ना गुप्ता, बादल और रामेश्वर उरांव को मंत्री बनाया था। वहीं, आलमगीर आलम पहले ही चंपाई के साथ मंत्री बने थे। इन्हीं 4 विधायकों को मंत्री बनाने से कांग्रेस के बाकी विधायक नाराज बताए जा रहे हैं।
झारखंड में कांग्रेस के नाराज विधायकों में शामिल इरफान अंसारी ने मीडिया से कहा कि उनकी पार्टी से जो 4 लोग मंत्री बनाए गए हैं, वे ठीक से काम नहीं कर रहे हैं। इरफान ने इनकी जगह किसी और को मंत्री बनाने की मांग रखी है। कांग्रेस के विधायक हालांकि, शुक्रवार को शपथ ग्रहण में शामिल हुए थे, लेकिन उनका कहना है कि पहले की मांग अभी जिंदा है और पार्टी को वे अपनी चिंता बता रहे हैं। अब सबकी नजर इस पर है कि चंपाई सोरेन सरकार पर आए इस संकट से कांग्रेस कैसे उबारती है।