कुलभूषण जाधव मामले में ICJ के ये 16 जज आज सुनाएंगे फैसला

पाकिस्तान की जेल में बंद पूर्व भारतीय नौसेना अधिकारी कुलभूषण जाधव को ईरान से जबरदस्ती अगवा कर जासूसी और आतंकवाद के आरोप में बलूचिस्तान से गिरफ्तार किया था। जाधव को लेकर अंतरराष्ट्रीय कोर्ट आज अपना फैसला सुनाएगी। भारत और पाकिस्तान के बीच चल रहे इस मामले पर पूरी दुनिया की नजर है। हेग स्थित अदालत में दोनों देशों की तरफ से वकीलों की टीम पहुंची गई है। इस बीच नजर ICJ के उन जजों पर भी बनीहै जो इस मामले में अपना फैसला सुनाएंगे।

इस मामले की सुनवाई 16 जजों की न्यायधीश समुदाय कर रहे हैं, जिसकी अगुवाई ICJ के प्रमुख जज अब्दुलकावि अहमद युसूफ कर रहे हैं। कुलभूषण मामले की सुनवाई कर रही जजों की टीम में कौन- कौन शामिल है –

अब्दुलकावि अहमद युसूफ (सोमालिया)

अब्दुलकावि इंटरनेशनल जस्टिस ऑफ कोर्ट के प्रमुख हैं। वह 2018 से इस पद पर तैनात हैं। इससे पहले तीन साल तक वह ICJ के वाइस प्रेसिडेंट भी रह चुके हैं। इससे पूर्व में वह UNESCO के लीगल एडवाइजर भी रह चुके हैं। उन्हें भारत की कलिंगा यूनिवर्सिटी से सम्मानित भी किया जा चुका है।

भारत और पाकिस्तान से भी एक-एक जज

16 जजों की टीम में एक जज के हैं जस्टिस दलवीर भंडारी इस टीम में शामिल इकलौते भारतीय हैं। वह 2012 से अंतरराष्ट्रीय अदालत के जज हैं। वहीं पाकिस्तान की तरफ से तस्सदुक हुसैन जिलानी इस टीम के हिस्सा हैं। वह बेंच के परमानेंट हिस्सा नहीं हैं, उनकी एंट्री एडहॉक जज के तौर पर हुई थी। ऐसा तभी किया जाता है, जब उस देश का मेंबर टीम का हिस्सा नहीं होता है।

इनके अलावा ये जज भी हैं शामिल

ICJ उपाध्यक्ष शू हांकिन (चीन)

जस्टिस मोहम्मद बेनौना (मोरक्को)

जस्टिस एंटोनियो ऑगस्टो ट्रिनडाडे (ब्राजील)

जस्टिस पीटर टॉमका (स्लोवाकिया)

जस्टिस यूजी इवसावा (जापान)

जस्टिस पैट्रिक लिप्टन रॉबिनसन (जमैका)

जस्टिस जेम्ल रिचर्ड क्रॉफोर्ड (ऑस्ट्रेलिया)

जस्टिस जूलिया सेबुटिंडे (यूगांडा)

जस्टिस किरिल गेवोर्जिअन (रूस फेडरेशन)

जस्टिस नवाज सलाम (लेबनान)

आपको बता दें कि भारत के कुलभूषण जाधव फिलहाल पाकिस्तान की कैद में हैं। पाकिस्तान कीओर से यह दावा है कि कुलभूषण जाधव को पाकिस्तानी सुरक्षा बलों ने 3 मार्च 2016 को जासूसी और आतंकवाद के आरोप में बलूचिस्तान से गिरफ्तार किया गया था। जासूसी के मामले में पाकिस्तान स्थित मिलिटरी कोर्ट ने अप्रैल 2017 में मौत की सजा सुनाई थी। जिसके खिलाफ भारत ने मई 2017 में अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में अपील की थी।

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