मल्लिकार्जुन खड़गे के परिवार को मुफ्त में दी गई 19 एकड़ सरकारी जमीन, बीजेपी सांसद ने लगाया आरोप

नई दिल्ली। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और उनके परिवार के अन्य लोगों पर बीजेपी के राज्यसभा सांसद लहर सिंह सिरोया ने गंभीर आरोप लगाते हुए दावा किया है कि कर्नाटक की सिद्धारमैया सरकार ने खड़गे के परिवार द्वारा संचालित सिद्धार्थ विहार ट्रस्ट को 19 एकड़ सरकारी जमीन मुफ्त में दे दी। सिरोया ने इन आरोपों से संबंधित दस्तावेज भी सोशल मीडिया पर अपलोड किए हैं। बीजेपी सांसद का कहना है कि नए दस्तावेज़ों से पता चलता है कि मल्लिकार्जुन खड़गे परिवार द्वारा संचालित सिद्धार्थ विहार ट्रस्ट के अंतर्गत गुलबर्गा में अंतर्राष्ट्रीय पाली, संस्कृत और तुलनात्मक दर्शन संस्थान को 19 एकड़ सरकारी ज़मीन मुफ़्त दी गई थी।

 

लहर सिंह ने कहा कि सिद्धार्थ ट्रस्ट के ट्रस्टियों में खड़गे की पत्नी, दामाद और उनके दो बेटे शामिल हैं। पाली संस्थान के सचिव राधाकृष्ण जो खड़गे के दामाद और गुलबर्गा के मौजूदा सांसद हैं। हाल ही में यह बात सामने आई थी कि बैंगलोर के पास एयरोस्पेस पार्क में सिद्धार्थ विहार ट्रस्ट को 5 एकड़ नागरिक सुविधा भूमि दी गई थी। मार्च 2014 में सिद्धारमैया के नेतृत्व वाली कर्नाटक की कांग्रेस सरकार ने पाली इंस्टीट्यूट को 16 एकड़ सरकारी जमीन 30 साल के लिए पट्टे पर दी थी। कुछ वर्षों में 16 एकड़ की पट्टे वाली संपत्ति में 3 एकड़ अतिरिक्त भूमि जोड़ी गई। इस तरह मार्च 2017 में 19 एकड़ जमीन सिद्धारमैया के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार ने खड़गे परिवार द्वारा संचालित संस्थान को मुफ्त में हस्तांतरित कर दी। एक महत्वपूर्ण तथ्य यह भी है कि खड़गे के पुत्र प्रियांक तत्कालीन कर्नाटक सरकार में कैबिनेट मंत्री थे।

बीजेपी सांसद ने इस भूमि हस्तांतरण मामले की जांच एक स्वतंत्र एजेंसी द्वारा कराए जाने की मांग की। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि कहा कि सत्ता के दुरुपयोग और भाई-भतीजावाद की ओर इशारा करने के लिए मेरे साथ दुर्व्यवहार किया गया और व्यक्तिगत रूप से निशाना बनाया गया। बीजेपी सांसद ने कहा कि अगर खड़गे परिवार डॉ. बाबा साहेब अंबेडकर और भगवान गौतम सिद्धार्थ के सिद्धांतों में विश्वास करता है, तो उन्हें खुद जांच की मांग करनी चाहिए। सिरोया ने कहा कि इस संदर्भ में पूछने के लिए एक और प्रासंगिक प्रश्न यह है कि क्या सिद्धारमैया सरकार पर निजी ट्रस्ट को जमीन देने के लिए खड़गे ने दबाव डाला था या कर्नाटक सरकार खुद ही खड़गे को खुश करना चाह रही थी।

 

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