1984 सिख दंगा: दिल्ली हाईकोर्ट का फैसला, 88 दोषियों की सजा बरकरार

नई दिल्ली: लोअर कोर्ट ने 1984 के सिख दंगों के जिन 88 दोषियों को सजा सुनाई थी. उन सभी की सजा को दिल्ली हाई कोर्ट ने भी बरकरार रखा है. दरअसल, ये मामला दिल्ली के त्रिलोकपुरी इलाके में 1984 के दौरान हुए दंगों का है. इससे पहले हाई कोर्ट ने मामले की सुनवाई के बाद 5 सितंबर को अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था

4 हफ्ते के अंदर करें आत्मसमर्पण

वहीं निचली अदालत ने सभी आरोपियों को 5 साल की सजा सुनाई थी. वहीं अब दिल्ली हाई कोर्ट ने 1984 के दंगों के दौरान कर्फ्यू का उल्लंघन करने और घरों को जलाने के लिए आरोपियों को दोषी ठहराए जाने के निचली अदालत के फैसले को बरकरार रखा है. साथ ही कोर्ट ने कहा कि सभी दोषी 4 हफ्ते के अंदर आत्मसमर्पण करें.

1984 दंगे

भारत की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की 31 अक्टूबर 1984 को उन्हीं के अंगरक्षकों ने हत्या कर दी, जिसके बाद देशभर में सिख विरोधी दंगे भड़क गए. दरअसल, इंदिरा गांधी ने 5 जून 1984 को ऑपरेशन ब्लू स्टार शुरू करवाया और ये सब किया गया पंजाब में सिख आतंकवाद को दबाने के लिए, जिसके चलते प्रमुख आतंकवादी भिंडरावाला सहित कई मौतें हुई और इस कार्रवाई में स्वर्ण मंदिर के कुछ हिस्सों को भी नुकसान पहुंचा. वहीं इसके बाद भिंडारवाले की मौत का बदला लेने के लिए ही इंदिरा गांधी की उन्हीं के सुरक्षा गार्डो ने हत्या कर दी.

इस दंगे में लगभग 3 हजार से ज्यादा सिखों को निशाना बनाया गया. देशभर में सिखों पर अत्याचार हुए. उनके घरों, दुकानों आदि को जला दिया गया. इसका सबसे ज्यादा असर राजधानी दिल्ली में हुआ. दुकानों, गुरुद्वारों, घरों को पहले लूटा गया और उसके बाद उनमे आग लगा दी. वहीं जब इंदिरा गांधी के मरने के बाद उनके बेटे राजीव गांधी से हिंसा पर जवाब मांगा गया तो उन्होंने कहा कि जब कोई मजबूत पेड़ गिरता है, तब आसपास की धरती हिलती ही है.

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