प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की वाराणसी लोकसभा सीट पर पूरे देश की निगाहें टिकी हैं। यह सिर्फ इसलिए नहीं कि इस सीट से मोदी लड़ रहे हैं, इसलिए भी क्योंकि देश के कई प्रांतों के लोग मोदी के खिलाफ चुनाव मैदान में ताल ठोकने आ चुके हैं। नामांकन के पांच दिनों के 31 लोगों ने पर्चे दाखिल किये हैं। इसमें केरल, महाराष्ट्र, बंगाल, कर्नाटक, हरियाणा से लेकर 15 प्रदेशों के लोग शामिल हैं। इन सभी का कहना है कि वह प्रधानमंत्री को चुनौती देने के लिए आए हैं। सोमवार को नामांकन का अंतिम दिन है। ऐसे में अभी और लोगों के आने की संभावना बनी है।
वाराणसी लोकसभा सीट पर प्रधानमंत्री के रूप में पहली बार कोई नामांकन हुआ है। मोदी ने पर्चा दाखिल करते ही बनारस के नाम से यह इतिहास बनाया। वाराणसी पिछले चुनाव से ही वीवीआईपी सीट हो चुकी है। उस चुनाव में ‘आप’ के प्रत्याशी अरविन्द केजरीवाल ने मोदी को टक्कर दी थी। अन्ना हजारे के आंदोलन से निकली आम आदमी पार्टी एक विकल्प के रूप में दिखने लगी थी। दूसरे प्रदेशों से आकर यहां नामांकन दाखिल करने को लोग लोकप्रियता हासिल करने का जरिया भी मान रहे हैं। दूसरे प्रांतों के अलावा यूपी के गोरखपुर, इलाहाबाद, लखनऊ और गोंडा के प्रत्याशियों ने भी दावेदारी की है।
पिछले साल एक और नाम काफी चर्चा में रहा था। बीएसएफ जवान तेज बहादुर यादव का। यादव ने जवानों को दिए जाने वाले भोजन की गुणवत्ता पर सवाल उठाया था। इस पर बनाया एक विडियो सोशल मीडिया पर अपलोड कर दिया था, जो वायरल हो गया था। हालांकि, कोर्ट ऑफ इंक्वायरी के बाद उनके आरोपों को गलत पाया गया था और यादव को नौकरी से निकाल दिया गया था। उन्होंने भी वाराणसी से निर्दलीय ठावेदारी ठोक दी है। उनका कहना है उन्होंने वाराणसी इसलिए चुना है क्योंकि यह एक हाई प्रोफाइल सीट है और भले ही वह हार जाएं, वह जवानों के मुद्दों पर रोशनी डालना चाहते हैं और लोगों के बीच संदेश पहुंचाना चाहते हैं।