4 हजार साल पहले शुरु हुई थी न्यू ईयर मनाने की परंपरा, जानिए किस धर्म में कब होता है नया साल
नए साल का आगमन हो चुका है. देशभर में लोग बड़े ही उत्साह के साथ नए साल का जश्न मना रहें हैं. लेकिन बहुत ही कम लोगों इस बात से वाकिफ होगें की न्यू ईयर मनाने की शुरुआत कब से हुई, और किसने इसकी शुरुआत की थी?
कब और किसने की न्यू ईयर मनाने की शुरुआत
ऐसा कहा जाता है की न्यू ईयर मनाने की परंपरा तकरीबन आज से 4000 साल पहले शुरू हुई थी. माना जाता है की रोम के तानाशाह जूलियस सीजर ने ईसा पूर्व 45वें वर्ष में पूरी दुनिया को एक नया कैलेंडर दिया था. जिसका नाम जूलियन कैलेंडर था, और उस समय ही दुनिया में पहली बार लोगों ने न्यू ईयर मनाया था. तब से लेकर आज तक ईसाई धर्म के लोग आज के दिन नया साल मनाते हैं.
किसने बनाए कैलेंडर में 12 महीने और 365 दिन
बता दें की जूलियस सीजर ही वो शख्स थे, जिन्होंने हमें साल में 12 महीने और 365 दिन दिए. तकरीबन 1600 साल तक जूलियन कैलेंडर का इस्तेमाल किया गया. लेकिन बाद में जूलियन कैलेंडर की जगह पर ग्रेगोरियन कैलेंडर लाया गया, जिसे पोप ग्रेगारी ने बनाया था. यह कैलेंडर भी जूलियन कैलेंडर का ही रुपांतरण है.
किस धर्म में किस दिन मनाते हैं नया साल
शायद ही आप इस बात से वाकिफ होंगे, की अलग-अलग धर्म में नया साल अलग-अलग दिन और महीने में मनाया जाता है.
हिंदू धर्म
हिंदू धर्म में नववर्ष की शुरुआत चैत्र मास की शुक्ल प्रतिपदा से होती है, जिसे नव संवत कहते हैं. मान्यता है कि भगवान ब्रह्मा ने इसी दिन से सृस्टि की रचना प्रारंभ की थी. अंग्रेजी कैलेंडर के मुताबिक, यह तिथि अप्रैल में आती है.
जैन धर्म
जैन धर्म में नववर्ष की शुरुआत दीपावली के अगले दिन से होती है. मान्यता है कि भगवान महावीर को दीपावली के दिन ही मोक्ष की प्राप्ति हुई थी. इसलिए जैन धर्म के अनुयायी दीपावली के अगले दिन से नया साल मनाते हैं.
पारसी धर्म
पारसी धर्म के लोग 19 अगस्त को नवरोज के रूप में नया साल मनाते हैं. माना जाता है कि करीब 3000 साल पहले शाह जमशेदजी ने इसी दिन नवरोज मनाने की शुरुआत की थी.
सिख धर्म
सिख धर्म में नया साल बैशाखी के त्यौहार के रूप में मनाया जाता है. अंग्रेजी कैलेंडर के मुताबिक, हर साल अप्रैल में वैशाखी मनाई जाती है.
मुस्लिम धर्म
मुस्लिम धर्म में नया साल की शुरुआत मोहर्रम की पहली तारीख से होती है, जिसे हिजरी कहते हैं. हिजरी कैलेंडर सभी मुस्लिम देशों में इस्तेमाल किया जाता है और दुनियाभर के मुस्लिम अपने धार्मिक पर्व इसी कैलेंडर के हिसाब से मनाते हैं.