युद्ध के 70वें दिन, यूरोपियन यूनियन ने रूस पर लगाया प्रतिबंध, रूस भी बदले में तोड़ेगा खिलाफ़ लोगों से संबंध !

रूस – यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध के 70वें दिन होने के बाद, यूरोपियन यूनियन ने रूसी तेल तथा रूसी बैंकों पर प्रतिबंध लगाने के निर्णय पर मुहर लगा दिया हैं।

इधर जवाबी कार्रवाई में रूस के राष्ट्रपति पुतिन ने भी कई सारे प्रतिबंध लगाने के निर्णय पर हस्ताक्षर कर दिए हैं। पुतिन ने एक लिस्ट बनाने का आदेश दिया है, जिसमें शामिल होंगे उनके खिलाफ़ हुए देश और संगठन तथा कंपनिया । यह सूची आने वाले 10 दिनों में तैयार होनी हैं। इसमें शामिल लोगों के साथ रूस की भी तरह का व्यापार नहीं करेगा।

वहीं , इधर रूस द्वारा यूक्रेन पर लगातार की जा रही बमबारी पर यूरोपियन यूनियन के अध्यक्ष उर्सुला वॉन डेर लेयेन ने स्ट्रासबर्ग में यूरोपीय संसद को बताया कि पुतिन को अपनी क्रूर आक्रामकता के लिए एक बड़ी कीमत चुकानी होगी।

तथा साथ में यूनियन ने रूसी तेल पर प्रतिबंध लगाने तथा रूस की सबसे बड़ी बैंक स्बरबैंक और दो फायनेंस कंपनियों पर प्रतिबंध लगाने के निर्णय पर मुहर लगा दिया हैं।

यूरोपीय आयोग ने आने वाले 6 माह में रूसी कच्चे तेल व परिष्कृत उत्पादों की आपूर्ति को चरणबद्ध ढंग से खत्म करने का प्रस्ताव दिया।जिसके वजह से रूस को 1.8 खरब डॉलर की नुकसान होने वाला हैं।तथा रूस की अर्थव्यवस्था पर भारी दबाव पड़ेगा। इस खबर के बाद ब्रेंट क्रूड की 3 फीसदी से बढ़कर 1.8 डॉलर प्रति बैरल हो गई हैं।

वहीं, इस प्रस्ताव का स्लोवाकिया और हंगरी ने समर्थन नहीं किया है क्योंकि दोनों अपनी ऊर्जा आपूर्ति के लिए पूर्ण रूप से रूस पर निर्भर हैं।

इधर अभी यूक्रेन के मुताबिक कई लोग मैरियूपोल स्टील प्लांट में हुए बमबारी में फसें पड़े है, हालांकि 100 से अधिक लोगों को वहां से निकाला जा चुका हैं।

इन सभी के बीच जर्मन चांसलर ओलाफ शुल्ज ने कहा है कि ये भ्रम करना गलत होगा कि रूस अन्य देशों पर हमला नहीं कर सकता हैं, अगर फिनलैंड और स्वीडन नाटों में शामिल होना चाहते है तो जर्मनी उनका समर्थन करता हैं। परंतु इस पर इन दोनों राष्ट्रों की कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है।

उधर ब्रिटेन का मानना है कि रूस यूक्रेन के दो बड़े शहरों पर कब्जा कर सकता हैं। जिसमें शामिल हैं पूर्वी यूक्रेन के क्रामातोर्स्क और सेवेरोदोनेत्स्क । इसकी जानकारी ब्रिटिश सेना बुधवार को ट्वीटर पर युद्ध की दैनिक ब्रीफिंग में दी।

वहीं पोप फ्रांसिस कि भी अपनी कूटनीतिक इस युद्ध की रोकने पर कारगर नहीं हो पाया । पोप के ईस्टर पर युद्धविराम करने की अपील का कोई असर नहीं हुआ। रूसी ऑर्थोडॉक्स चर्च के प्रमुख से उनकी होने वाली तय बैठक रद्द कर दी गई हैं ।

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