राजस्थान में विधानसभा बेहद रोचक मोड़ में पहुंचता जा रहा है। कांग्रेस ने जहां पहले सीएम वसुंधरा राजे के खिलाफ झालरापाटन मानवेंद्र सिंह को चुनाव मैदान में उतार दिया। वहीं कांग्रेस सीएम पद के दावेदार सचिन पायलेट के खिलाफ बीजेपी ने यूनुस खान को उतार दिया है।
ऐसे में सचिन पायलेट के लिए चुनाव जीतना आसान नहीं है, क्योंकि मुस्लिम बहुल्य सीट पर 2013 के चुनाव में कांग्रेस की जाकिया तीसरे नंबर पर रही थी, जिनकी जमानत तक जब्त हो गई थी।
सचिन पायलट को राजस्थान में मुख्यमंत्री का प्रवल दावेदार माना जा रहा है. वहीं टोंक विधानसभा सीट से बीजेपी ने सचिन पायलट के खिलाफ युनूस खान को उताराकर चुनाव को ओर मजेदार बना दिया है. क्योंकि अबतक इतिहास पर नजर डालें तो कांग्रेस यहां 14 विधानसभा चुनावों में 6 बार चुनाव जीती, जबकि बीजेपी ने पांच बार सीट पर कब्जा किया। वहीं तीन बार दूसरी पार्टियों के हाथ जीत लगी। खास बात ये की 1980 के बाद 2013 के चुनाव में बीजेपी ने कांग्रेस की जमानत जब्त कराते हुए चुनाव जीता था। ऐसे में सचिन की राह आसान नहीं है।
बीजेपी ने की सचिन की किले बंदी
टोंक विधानसभा से यूनुस खान के उतारे जाने के बाद बीजेपी ने कांग्रेस और खुद सचिन पर मनोवैज्ञानिक दबाव बना दिया है। क्योंकि इस सीट पर पुराने इतिहास को देखते हुए सचिन को जीत के लिए मसक्कत करनी पड़ेगी। जिससे उनके दूसरे प्रत्याशियों के लिए किये जाने वाले चुनाव प्रचार पर असर पड़ेगा।
मुस्लिम बाहुल्य सीट पर कड़ा मुकाबला
बीजेपी की तरफ से राजस्थान विधानसभा चुनावों में एकमात्र मुस्लिम उम्मीदवार है. जिनका नाम पांचवी सूची में जारी किया गया है. युनूस खान जिस सीट से चुनाव लड़ रहे है वहां मुस्लिम मतदाताओं की तादाद अच्छी खासी है. टोंक विधानसभा में 60 हजार से ज्यादा मुस्लिम मतदाता है. बीजेपी की नजर इसी मुस्लिम वोट बैंक पर है और शायद इसीलिए नामांकन के अंतिम दिन बीजेपी ने अपने पूर्व प्रत्याशी अजीत सिंह मेहता को हटाकर युनूस का नाम आगे किया है.
राजे की पैरवी पर मिला टिकट
युनूस खान को टिकट मुख्यमंत्री राजे की पैरवी से मिला है या फिर बीजेपी ने उन्हें टिकट देकर कोई नया दांव चला है यह कहना तो कठिन है. मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने अपने कैबिनेट मंत्री की पैरवी करने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी लेकिन फिर भी संघ उनके नाम पर सहमत नहीं हो रहा था.
मुस्लिम प्रत्याशी के लिए कांग्रेस में बगावत
टोंक विधानसभा सीट पर एक ओर राज्य के कई मुस्लिम समाज के संगठनों ने कांग्रेस को खुलेआम समर्थन का ऐलान किया है तो वहीं कांग्रेस के अल्पसंख्यक विभाग के अध्यक्ष ने सचिन पायलट पर ही मुस्लिमों की अनदेखी का आरोप लगाकर पद से इस्तीफा दे दिया है. राजस्थान कांग्रेस के अल्पसंख्यक विभाग के अध्यक्ष निजाम कुरैशी के साथ-साथ सभी 35 जिलों के अध्यक्षों ने भी पार्टी को अपना इस्तीफा दे दिया था. और इशारों ही इशारों में बीजेपी के साथ जाने की मंशा जाहिर की थी.
मुस्लिम वोटर ही दिलाएंगे जीत
वहीं दूसरी तरफ टोंक से मुस्लिम प्रत्याशी न उतारने के कांग्रेस के फैसले को यूनुस खान ने मुस्लिम अस्मिता से जोड़ दिया है। जिसके बाद मुस्लिम मतदाता कांग्रेस से नाराज नजर आ रहा है। जिसका फायदा बीजेपी को मिल सकता है। यूनुस खुद मुस्लिम है, ऐसे में मुस्लिम वोट के साथ बीजेपी के कोर वोट को हासिल करने में उन्हें कोई दिक्कत नहीं होगी। जबकि सचिन पायलेट को यहां पसीना बहाना पड़ सकता है।
यूनुस खान का जीतना आसान नहीं- सुधांशु माथुर
वहीं राजस्थान की राजनीतिक नब्ज से वाकिफ वरिष्ठ पत्रकार सुधांशु माथुर के मुताबिक
‘टोंक बीजेपी ने यूनुस खान को उतारकर नया दांव तो चला है, लेकिन उतना कारगर होता दिखता नहीं है, सरकार में मंत्री रहते हुए कई आरोप लगे हैं, इसी वजह से बीजेपी आलाकमान और संघ टिकट देने में कतराता रहा। वहीं सचिन पायलेट का बड़ा चेहरा और साफ सुथरी छवि उनके फेवर में है। दोनों प्रत्याशी जनता के लिए नए हैं, ऐसे में किसी एक के लिए रास्ता आसान कहना मुश्किल है’।