जानिए शिवनेरी किले का इतिहास जिसकी मिट्टी लेकर अयोध्या आए हैं उद्धव ठाकरे
25 नवबंर को अयोध्या में होने जा रही रैली के लिए शिवसेना प्रमुख अयोध्या आ गए हैं. शिवसेना प्रमुख अकेले ही अयोध्या नहीं आए अपने साथ वो शिवनेरी किले की मिट्टी को भी लाएंगे. उद्धव ठाकरे ने शिवनेरी किले की मिट्टी को अपने साथ लाने के बारे में कहा कि, ‘‘छत्रपति शिवाजी महाराज की जन्मस्थल की मिट्टी से सभी हिंदुओं की भावनाएं जुड़ी है और राम मंदिर निर्माण प्रक्रिया को गति देने के लिए इन भावनाओं को एकत्र किया जा रहा.”
क्या है शिवनेरी किले की खासियत
महाराष्ट्र में पुणे जिले के जुन्नर के पास एक सैन्य किला है जिसे शिवनेरी किला कहा जाता है. यह कोई आम किला नहीं है. इस किलें मे मराठा साम्राज्य के महान राजा छत्रपति शिवाजी महाराज का जन्म हुआ था.
पुणे के जिस जुन्नर में यह किला है वो भारत के प्राचीनतम शहरों में से एक है. जुन्नर का अर्थ है जर्ना नगर. जुन्नर शहर की धरती पर पर कभी शाक राजवंश शासन फला फूला था. शिवनेरी किला को जिस जगह बनाया गया था वह बड़ी खाड़ी द्वारा सुरक्षित है और यही कारण है कि इस किले को यहां बनाया गया क्योंकि यह किला बनाने के लिए सबसे उपयुक्त स्थान था.
शिवनेरी किले पर बहुत से शासको ने शासन किया, जैसे शिलाहारों, सातवाहन, बहामनियों, यादवों और फिर मुगल साम्राज्य. सन् 1599 में शिवाजी महाराज के दादा मालोजी भोसले और फिर छत्रपति शिवाजी महाराज के पिता शाहजी राजा को किला दिया गया था.
शिवनेरी किले में सात द्वार है. महा दरवाजा, पीर दरवाजा, फाटक दरवाजा, हटी दरवाजा, परगंचना दरवाजा, कुलबख्त दरवाजा और शिपाई दरवाजा. किसी को किले में घुसने के लिए इन सातों द्वारों को पार करना पड़ेगा उसके बाद ही वो किले में प्रवेश कर सकता है. किले की सीमा की दीवार दुश्मनों से किले की रक्षा करने के लिए बेहद ऊंची बनाई गई थी. किले के बीचोबीच एक तालाब भी है. वहीं किले में दो झरने हैं जिसे गंगा जमुना कहा जाता है.
छत्रपति शिवाजी महाराज का जन्म 19 फरवरी 1630 को किले में हुआ था. छत्रपति शिवाजी महाराज ने अपना बचपन इसी किले में बिताया था. इसी किले में रहते हुए उन्होंने एक राजा के गुणों को अपने अंदर समाया. छत्रपति शिवाजी महाराज को यह किला छोड़ना पड़ा और यह 1637 में मुगलों के हाथों में चला गया.