बसपा सुप्रीमो मायावती इन दिनों राजनीतिक दुश्मनों से ज्यादा, राजनीतिक रिश्तेदारी जोड़ने वालों से ज्यादा परेशान है। क्योंकि ये ऐसे हैं जो दुत्कारने के बाद भी गले पड़ने में गुरेज नहीं करते। लोगों का बुआ कहना माया को इतना बुरा लगता था। कि कुछ दिन बाद ही उन्होंने कड़े शब्दों में कहा था कि ‘न तो मैं किसी की बुआ हूं और न तो मेरा कोई भतीजा है।
लोग अपने स्वार्थ के लिए मुझसे रिश्ता जोड़ लेते हैं’। पर अब ‘माया’ के सामने ऐसी ही चुनौती एकबार फिर आ गई है, क्योंकि चंद्रशेखर रावण ने लखनऊ में एकबार फिर खुद को माया का बेटा बताया है। और नया रिश्ता जोड़ लिया है।
कुछ दिन पहले ही जेल से जमानत पर बाहर आए चंद्रशेखर रावण फिर से संगठन को बढ़ाने और अपने समर्थकों को जोड़ने के लिए मध्य यूपी की तरफ कूच कर रहे हैं। अबतक सिर्फ पश्चिमी यूपी में सीमित भीम आर्मी मध्य से लेकर बुंदेलखंड में अपने पैर पसारने शुरु कर दिए हैं।
बुंदेलखंड तक भीम आर्मी फैलाने की तैयारी
कभी मायावती के खास सिपेहसलार रहे, दलित नेता और पूर्व मंत्री दद्दू प्रसाद के गोमती नगर स्थित आवास में प्रेस कॉन्फ्रेंस की। दद्दू प्रसाद बुंदेलखंड में पिछड़ी और दलित जाति के वोट बैंक में खासा दखल रखते हैं। जिनको नसीमुद्दीन से पहले मायावती ने पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया था। अब चंद्रशेखर का उनको साथ मिल गया है। वहीं दूसरी तरफ चंद्रशेखर को पश्चिम से बुंदेलखंड तक भीम आर्मी को फैलाने का मौका मिल गया है।
‘माया’ को मुझसे डरने की जरूरत नहीं
इस दौरान कई बार चंद्रशेखर ने खुद को मायावती का बेटा बताया। उनका तर्क था कि मायावती को उनसे डरने की जरूरत नहीं है। क्योंकि वो माया की तरह पार्टी नहीं संगठन चला रहे हैं। मायावती के वो बेटे के समान हैं। चंद्रशेखर यहीं नहीं रूके कांग्रेस पर निशाने में लेते हुए मायावती को पीएम बनाने तक की मांग कर दी। चंद्रशेखर ने कहा कि कांग्रेस अगर वाकई दलितों के साथ है तो वो पीएम के तौर पर मायावती को घोषित करे। चंद्रशेखर ने स्पष्ट किया कि वो अगले आम चुनावों के मद्देनजर बहुजन समाज के पक्ष में माहौल बनाने की कोशिश कर रहे हैं. जब चंद्रशेखर से ये पूछा गया की बसपा प्रमुख उन्हें बीजेपी का एजेंट बताती हैं, तो चंद्रशेखर ने कहा कि बसपा हमारा घर है और घर में कुछ गलतफहमियां तो होती रहती हैं.
बीएसपी के लिए जुटाएंगे समर्थन
आपको बता दें कि यूपी के सहारनपुर में जातीय दंगे के आरोप में जेल भोग चुके भीम आर्मी के नेता चंद्रशेखर रावण मायावती की सियासी रणनीति में फिट नहीं हो रहे हैं. ये अंदेशा पहले भी जताया जा रहा था कि दलित वोटबैंक को लेकर मायावती और चंद्रशेखर के बीच जंग शुरू हो सकती है. लेकिन अबकुछ माया के फेवर में होने की उम्मीद है। चंद्रशेखर दलितों को बसपा के साथ जोड़ने में लग गए हैं।
बेटे को अपनाएंगी ‘माया’
जब सहारनपुर में दंगा हुआ था उस समय मायावती ने आरोप लगाया था कि यह सब कुछ आरएसएस-बीजेपी के इशारे पर हो रहा है. लेकिन अब जबकि चंद्रशेखर ने माया को पीएम बनाने से लेकर खुद को उनका बेटा बताने की कोशिश में जुटा है ऐसे में माया का अगला कदम देखने वाला होगा।