नई दिल्ली। बात इमरजेंसी के बाद 1979 की है। दिल्ली की एक अदालत में संजय गांधी के ऊपर आरोपों पर सुनवाई चल रही थी। इसी दौरान एक युवक ने सुनवाई कर रहे जज पर कागज़ के गोले फेंकने शुरू कर दिए। इतना ही नहीं कुछ देर में यह युवक अदालत के अंदर नारेबाजी भी करने लगा। जज साहब को यह बहुत नागवार गुजरा। उन्होंने अदालत के अपमान के आरोप का दोषी ठहराते हुए उस युवक पर पांच सौ रुपए का जुर्माना लगाया। युवक ने जुर्माना अदा करने से मना कर दिया जिसपर उसे 7 दिन के लिए तिहाड़ जेल में बंद रखने की सजा सुनाई गयी।
यह युवक कोई और नहीं मध्य प्रदेश में कांग्रेस की वापसी का सबब बने कमल नाथ थे जिन्होंने अपने दोस्त संजय गांधी के साथ जेल में वक़्त गुजारने के लिए यह हिमाकत की थी। कमल नाथ ने ऐसा एक बार ही नहीं किया, संजय गांधी का साथ निभाने के लिए वो ऐसी अलग-अलग हरकतें करके चौदह बार तिहाड़ जेल गए।
संजय गांधी से बहुत गहरी थी दोस्ती
संजय गांधी से कमल नाथ की दोस्ती स्कूल के दिनों में हुई थी। उत्तर प्रदेश के कानपुर में 18 नवंबर 1946 को पैदा हुए कमल नाथ ने अपनी पढ़ाई दून स्कूल और फिर कोलकाता के सेंट जेवियर्स कॉलेज से पूरी की। तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के पुत्र संजय से उनकी दोस्ती दून में पढ़ाई के दौरान हुई थी। यह याराना कितना गहरा था और खुद इंदिरा गांधी इस रिश्ते से किस कदर प्रभावित थीं, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि वो कमल नाथ को अपना तीसरा बेटा कहती थीं।
‘इंदिरा गांधी के दो हाथ, संजय गांधी-कमल नाथ’
इमरजेंसी के बाद 1980 के लोकसभा चुनाव में कमल नाथ को कांग्रेस पार्टी ने मध्य प्रदेश की छिंदवाड़ा से मैदान में उतारा। खुद इंदिरा गांधी ने उनके लिए छिंदवाड़ा में रैली की। उन्होंने मंच से कहा -आप लोग कांग्रेस उम्मीदवार कमल नाथ को वोट मत दीजिए, आप मेरे तीसरे बेटे कमल नाथ को वोट दीजिए। उसी के बाद पार्टी में नारा भी चल पड़ा कि इंदिरा गांधी के दो हाथ, संजय गांधी-कमल नाथ।
छिंदवाड़ा से लगातार नौ बार जीत का रिकार्ड
संजय गांधी की असामयिक मौत के बाद वह इंदिरा गांधी के और ज्यादा निकट आ गए। इंदिरा के आशीर्वाद से पहली बार जीतने वाले कमल नाथ ने लगातार नौ बार छिंदवाड़ा से जीतने का रिकार्ड अपने नाम किया है. इंदिरा के बाद राजीव गांधी फिर सोनिया और अब राहुल गांधी, कमल नाथ गांधी परिवार के प्रति हमेशा निष्ठावान रहे। उन्हें साल 1991 में पहली बार बतौर राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार केंद्रीय कैबिनेट में शामिल किया गया था। इसके बाद वह हर कांग्रेस सरकार में कैबिनेट का हिस्सा रहे। उनके संसदीय क्षेत्र छिंदवाड़ा को विकास का नमूना माना जाता है, जिसकी वजह से वहां की जनता पर 2014 की प्रचंड मोदी लहर का भी फर्क नहीं पड़ा और कमल नाथ शान से चुनाव जीते।
बिजनेस टाइकून भी हैं कमलनाथ
कमल नाथ महज एक सफल राजनेता नहीं हैं। वह एक बिजनेस टाइकून भी हैं, मगर अपने लो प्रोफ़ाइल व्यवहार की वजह से किसी को इसका अहसास नहीं होने देते। कमल नाथ का कारोबार हॉस्पिटैलिटी, एविएशन, एजूकेशन और रियल एस्टेट में फैला हुआ है। साल 2011 के सितम्बर में उनकी संपत्ति 2.73 बिलियन यानि दो अरब 73 करोड़ रूपए होने की वजह से सबसे रईस केंदीय मंत्री घोषित किया गया था।
सिख विरोधी दंगो में भी आया था नाम
इंदिरा गांधी की हत्या के बाद हुए सिख विरोधी दंगों में कमल नाथ का नाम भी आया था। आरोप है कि दिल्ली के गुरुद्वारा रकाबगंज में दो सिखों को उनके सामने जिंदा जला दिया गया था लेकिन आय बात आजतक सिद्ध नहीं हो सकी। अब जबकि कमल नाथ मध्य प्रदेश की कमान संभालने जा रहे हैं भारतीय जनता पार्टी ने सिख दंगों का मामला उठाया है। फिलहाल इसका कोई फर्क कांग्रेस के इस बड़े नेता पर पड़ेगा इसके आसार कम ही हैं।