लखनऊ: सरकारी बंगले में तोड़ -फोड़ से विवादों में घिरे अखिलेश यादव ने आज एक आईएएस अफसर का नाम लिया। एक दिन पहले उन्होंने कहा था – “जो आईएएस अफसर हमारे खिलाफ साजिश कर रहा है वो हमारे आगे कप-प्लेट उठाता था। वो यह भी ना भूले कि सरकारें आती-जाती रहती हैं। ” और आज जिस आईएएस को उन्होंने अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस में निशाने पर लिया वह और कोई नहीं मुख्यमंत्री के सचिव मृत्युंजय कुमार नारायण हैं। इसी के साथ सत्ता के गलियारों में यह चर्चा होने लगी है कि पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश का इशारा और चेतावनी क्या सीएम से सचिव के लिए ही थी।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर अखिलेश यादव को भी लखनऊ स्थित अपना सरकारी बँगला खाली करना पड़ा था। उनकी बेदखली को लेकर बवाल बहुत ज्यादा है। तस्वीरें गवाही दे रहीं हैं कि इस बंगले में टाइल्स और बाथरूम की टोंटियां तक उखाड़ ली गयीं। लगातार हमले झेल रहे अखिलेश ने सोमवार को सब कुछ सरकार की साजिश बताया था। उनकी समाजवादी पार्टी के नेता तो कह ही रहे थे कि बंगला खाली होने के बाद तोड़ -फोड़ सरकारी लोगों ने करवाई और फिर मीडिया के कैमरे अंदर भेजकर नेता को बदनाम किया गया। अखिलेश ने कहा था – जो आईएएस अफसर साजिश रच रहे हैं वो हमारे सामने किस तरह व्यवहार करते थे शायद भूल गए हैं। एक अफसर को तो कप प्लेट उठाते तक देखा है हमने।
अखिलेश यादव ने बंगला तोड़ -फोड़ मुद्दे पर आज लखनऊ में प्रेस कॉन्फ्रेंस की। उन्होंने कहा कि इस बात का जवाब मिलना चाहिए कि बंगला खाली होने के बाद मीडिया से पहले सीएम के ओएसडी अभिषेक कौशिक और सचिव मृत्युंजय कुमार नारायण वहां क्या करने गए थे। आईएएस लोग यह सब काम कबसे करने लगे ? बिहार के रहने वाले मृत्युंजय 95 बैच के आईएएस हैं। आईआईटी कानपुर से बीटेक और एमटेक हैं। योगी जी ने तमाम नामों की चर्चा के बीच उन्हें अपना सचिव नियुक्त किया था।
राजधानी के पॉवर कॉरिडोर्स में यह चर्चा तो अखिलेश के बयान के साथ ही शुरू हो गयी थी आखिर वो आईएएस कौन है जिसकी तरफ पूर्व सीएम इशारा कर रहे हैं। आज मृत्युंजय कुमार का नाम उनके मुंह से सामने आने के बाद चर्चा गरमा गयी कि क्या अखिलेश इन्हीं के बारे में बोल रहे थे। इसके अलावा अखिलेश ने आज नयी बात यह कही कि सामान मैंने लगवाया था और उखड़वा लिया। उल्लेखनीय है कि कल ही गवर्नर राम नाइक ने सीएम को चिट्ठी लिखी है। गवर्नर ने कहा है कि अगर अखिलेश ने सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाया है तो सरकार को उनके खिलाफ लीगल एक्शन लेना चाहिए।