बीते रविवार को दिल्ली हाई कोर्ट ने एक अहम फैसला सुनाया. दरअसल हाई कोर्ट ने दुष्कर्म का मुकदमा रद करने की याचिकाकर्ता की मांग को खारिज कर दिया है.
न्यायमूर्ती संजीव सचदेवा की पीठ ने कहा कि भले ही याचिकाकर्ता व पीड़िता शादी करके एक साथ रह रहे हों और पीड़िता नें भी रिपोर्ट रद करने की सहमति दी हो. लेकिन याचिकाकर्ता के खिलाफ दर्ज कराए गए दुष्कर्म के मुकदमे की रिपोर्ट को रद नहीं किया जा सकता.आपको बता दें की न्यायमूर्ती संजीव सचदेवा ने दीपक गुलाटी बनाम हरियाणा के एक ऐसे ही मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा की गई टिप्पणी का अपने फैसले में हवाला दिया. जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने दुष्कर्म और सहमति से बनाए गए शारीरिक संबंध में फर्क को व्याख्यायित किया. अदालत को ध्यान से देखने की जरूरत है कि आरोपित ने पीड़िता से शादी का वादा किया था या फिर उसने शारीरिक संबंध बनाने के लिए झूठा वादा किया था. सुप्रीम कोर्ट ने यह तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा था की अगर अदालत इस नतीजे पर पहुचंती है कि आरोपित के वादे झूठे थे तभी आरोपित को दुष्कर्म के लिए सजा दी जा सकती है. पीठ ने सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी का हवाला देते हुए कहा कि अदालत के फैसले से प्रभावित हुए बगैर यह निचली अदालत के लिए विचारणीय होगा कि मामले में पेश किए सबूत सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए फैसले के अधीन आते हैं या नहीं.
क्या था मामला पूरा मामला
याचिका के अनुसार, याचिकाकर्ता पर आरोप है की उसने 15 नवंबर 2015 को युवती को शादी का झांसा देकर उससे शारीरिक संबंध बनाए थे. दोनों के बीच काफी लंबे समय तक शारीरिक संबंध थे, लेकिन बाद में आरोपी ने शादी करने से मना कर दिया. बताते चलें की पीड़िता की शिकायत पर पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार किया था. लेकिन 11 जनवरी 2016 को आरोपी जमानत पर बहार आ गया था. इसके बाद आरोपी और पीड़िता के बीच समझौता हुआ और दोनों ने 14 अक्टूबर 2016 को शादी कर ली थी. इसके बाद आरोपी ने दुष्कर्म का मुकदमा रद करने की मांग की थी, और पीड़िता ने 4 अक्टूबर 2018 को अदालत में यह कहते हुए एकआईआर रद करने की मांग की थी कि उसने बगैर किसी दबाव में आकर याचिकाकर्ता के साथ शादी की है,और दोनों साथ रह रहे हैं.
ये भी पढ़ें- ‘ प्रियदर्शिनी कांग्रेस ’ अब इंदिरा गांधी के नाम पर जुटाएगी युवतियों के वोट