ISRO चंद्रयान-2 लॉचिंग को तैयार, अगले महीने हो सकता है प्रक्षेपण

पहले चंद्रयान मिशन के लगभग दस साल बाद भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी ने चंद्रयान-2 के प्रक्षेपण के लिए सारी तैयारी लगभग पूरी कर ली है और इसी के साथ चंद्रयान-2 मिशन की काउनडाउन शुरू हो गई है. चंद्रयान-1 भारत का पहला चंद्र मिशन था. जिसे इसरो ने अक्टूबर 2008 में प्रक्षेपित किया था जो अगस्त 2009 तक चंद्रमा का अध्ययन करता रहा.

फरवरी में हो सकती है लॉचिंग

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO)  दूसरे चंद्र मिशन के लिए पूरी तरह से तैयार है. चंद्रयान-1 की सफलता के बाद दूसरे चंद्रयान-2 का प्रक्षेपण अगले महीने किए जाने की संभावना है. इसरो के वरिष्ठ अधिकारी की माने तो सभी तरह की तैयारी लगभग पूरी कर ली गई है और हम सभी पूरी कोशिश कर रहे हैं और संभावना है कि चंद्रयान-2 की लॉचिंग फरवरी में हो सकता है. लेकिन इसके प्रक्षेपण को लेकर कोई तारीख निश्चित नहीं हुई है. चंद्रयान-2 भारत का चंद्रयान-1 के बाद दूसरा चंद्र मिशन है. जिसे भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) विकसित किया है. चंद्रयान को जीएसएलवी मार्क 3 प्रक्षेपण यान से लॉंच किया जाएगा.

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स्वदेशी है चंद्रयान-2

इसरो के अधिकारी ने बताया, कोई बाधा नहीं है काम सही तरह से हो रहा है. चंद्रयान-2 पूरी तरह से स्वदेशी है जिसमें एक ऑर्बिटर, एक लैंडर और एक रोवर होगा. इसरो के अनुसार लैंडर चंद्रमा की सतह पर एक निर्दिष्ट स्थान पर उतरेगा और वहां एक रोवर तैनात करेगा. यह रोवर छह पहियों वाला होगा जो धरती से मिलने वाले दिशा-निर्देशों के अनुसार सेमी ऑटोमैटिक तरीके से चंद्रमा की सतह पर लैंडर के उतरने के स्थान के आस-पास के वातावरण में घूमकर नमूना एकत्र करेगा. रोवर में लगे उपकरण चंद्रमा की सतह का अध्ययन करेंगे और संबंधित डाटा को धरती पर वापस भेजेंगे. इस तरह की जानकारी से चंद्रमा की मिट्टी और चट्टानों के नमूनो  को विश्लेषणँ के लिए लाभकारी होगी.

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3,290 किलोग्राम वजनी है चंद्रयान-2

3,290 किलोग्राम वजनी चंद्रयान-2 चंद्रमा की कक्षा में चक्कर लगाएगा और दूरस्थ संवेदी अध्ययन करेगा. इसरो के मुताबिक जो भी उपकरण चंद्रयान-2 में लगे है वह चंद्र स्थल की आकृति, खनिज तत्वों की प्रचुरता, चंद्रमा के बहिर्मंडल और हाइड्रोक्सिल और जल-हिम का अध्ययन करेंगे.

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