इस समय देश में सबसे ज्वलंत मुद्दा है अयोध्या केस से जुड़ी सुनवाई. पूरा देश एकटक लगाए इतंजार कर रहा है कि इस मामले में होने वाली सुनवाई में क्या निकलकर सामने आएगा.
देश की शीर्ष अदालत सुप्रीम कोर्ट में पांच जजों की पीठ बृहस्पतिवार से इसकी सुनवाई करने जा रही है. जाहिर है लोगों में इस मामले से जुड़ी अहम बातें जानने को लेकर भी उत्सुकता होगी. आज हम आपके लिए इस मामले से जुड़ी कुछ अहम बातें आपको बताने जा रहे हैं.
#सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस रंजन गोगोई इस संविधान पीठ के अध्यक्ष हैं. पांच जजों की इस पीठ में जस्टिस गोगोई के अलावा जस्टिस एसए बोबडे, एनवी रमना, जस्टिस यूयू ललित, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ शामिल हैं.
#भारतीय संविधान का अनुच्छेद 145 (3) सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस को संविधान पीठ गठित करने का अधिकार देता है.
#संविधान पीठ का गठन किसी अत्यन्त पेचीदे मसले, विशेष मामलों या संविधान की व्याख्या करने के लिए किया जा सकता है.
#सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या केस में सुनवाई के लिए पहले तीन जजों की बेंच गठित की थी. इसके बाद इस पीठ का गठन कर सुप्रीम कोर्ट ने 27 सितंबर के अपने ही फैसले को पलट दिया था.
#सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित संविधान पीठ कुल 16 याचिकाओं पर सुनवाई करेगी.
#संविधान पीठ इलाहाबाद हाईकोर्ट के 2010 के फैसले के खिलाफ याचिकाओं पर सुनवाई करेगी. आपको बता दें कि इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अयोध्या में 77 एकड़ विवादित स्थल को तीन भागों में बांटने का फैसला सुनाया था.
#सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस आफताब आलम और जस्टिस आरएम लोढ़ा की पीठ ने 2011 में इलाहाबाद हाईकोर्ट के इस फैसले पर रोक लगा दी थी.
#इलाहाबाद हाईकोर्ट ने विवादित स्थल को रामलला, निर्मोही अखाड़ा और सुन्नी वक्फ बोर्ड के बीच बांटने का फैसला सुनाया था.
#सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ में कम से कम पांच जज होने चाहिए.
#सुप्रीम कोर्ट के इतिहास में अब तक 7, 9 और 13 जजों की संविधान पीठ का भी गठन हो चुका है.