संसद में केंद्र सरकार की तरफ से शुक्रवार को अंतरिम बजट 2019-20 पेश करने के कुछ ही घंटों के अंदर इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे दी गई. एडवोकेट मनोहर लाल शर्मा की तरफ से दाखिल की गई याचिका में कहा गया कि संविधान में अंतरिम बजट जैसा कोई प्रावधान नहीं है, इसलिए यह बजट खारिज कर दिया जाना चाहिए.
याचिकाकर्ता का कहना है कि संविधान के तहत केवल पूर्ण बजट और लेखानुदान पेश करने का ही प्रावधान है. लेखानुदान चुनावी साल में सीमित समय के लिए सरकारी खर्च की पूर्ति के लिए ली जाने वाली मंजूरी होती है, जबकि पूर्ण बजट बाद में निर्वाचन के बाद गठित हुई सरकार पेश करती है.
पिछले साल दिसंबर में भी एडवोकेट शर्मा केंद्र सरकार के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंचे थे, लेकिन तब आरबीआई के कैपिटल रिजर्व से जुड़े मुद्दे पर तत्कालीन वित्त मंत्री अरुण जेटली के खिलाफ जनहित याचिका के लिए शीर्ष अदालत ने उन पर 50 हजार रुपये जुर्माना लगा दिया था.