शारदा चिटफंड मामले में सीबीआई की कार्रवाई अब ममता बनर्जी बनाम मोदी सरकार बन चुकी है. ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) का कहना है कि सीबीआई के पास कोई दस्तावेज नहीं थे और वह सीधा कोलकाता के पुलिस कमिश्नर राजीव कुमार से पूछताछ के लिए पहुंच गई. इसके खिलाफ पुलिस ने कार्रवाई की और सीबीआई की टीम को हिरासत में ले लिया. ममता बनर्जी इसके खिलाफ धरने पर बैठी है और सीबीआई ने राज्य सरकार के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाने का फैसला किया है.
पश्चिम बंगाल में सीबीआई की सीधा एंट्री पर प्रतिबंध है. दरअसल, पिछले साल नवंबर में आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने केंद्रीय जांच एजेंसी सीबीआई को दी गई जनरल कंसेंट (समान्य रजामंदी) को वापस ले लिया था. जिसके बाद से सीबीआई को कोई भी मामले में कार्रवाई के लिए पहले राज्य सरकार से अनुमति लेनी होती है.
जाने क्या है जनरल कंसेंट?
राज्य सरकार ने राज्य में कार्रवाई के लिए सीबीआई को जनरल कंसेंट दे रखी है. इसका मतलब ये है कि सीबीआई किसी भी मामले में जांच के सिलसिले में बगैर किसी अनुमति के संबंधित मामलों में छापेमारी, गिरफ्तारी कर सकती है. अब जब जनरल कंसेंट को वापस ले लिया गया है तो सीबीआई को राज्य में कार्रवाई के लिए सरकार से अनुमति लेनी होती है. विपक्षी दलों का आरोप है कि केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार केंद्रीय एजेंसियों का दुरुपयोग करती है इसलिए उसे खुली छूट नहीं दी जा सकती है.
हालांकि सीबीआई अदालत के आदेश के बाद राज्य सरकार की इजाजत के बगैर भी कार्रवाई कर सकती है. साथ ही वह राज्य में कार्यरत केंद्र सरकार के अधिकारियों के खिलाफ भी कार्रवाई कर सकती है. आंध्र प्रदेश और पश्चिम बंगाल के बाद कांग्रेस शासित छत्तीसगढ़ ने इसी साल जनवरी में जनरल कंसेंट वापस ले लिया था.
इन अपराधों की जांच करती है सीबीआई
सीबीआई की स्थापना दिल्ली स्पेशल पुलिस इस्टेब्लिशमेंट एक्ट- 1946 के जरिए हुई थी. इसके तहत एजेंसी भ्रष्टाचार, हत्या, अपहरण, आतंकवादी अपराध, रेप, संगठित अपराध जैसे परंपरागत अपराधों के मामलों की जांच करती है. नियम के अनुसार, सीबीआई देश में कहीं भी केंद्र सरकार के दफ्तरों में कार्रवाई कर सकती है या केंद्र सरकार के दफ्तरों से जुड़े भ्रष्टाचार/अपराध के मामलों में कार्रवाई कर सकती है.