हिन्दू धर्म में हर दिन भगवान की पूजा और व्रत-विधि किए जाते हैं जिनका हमारे जीवन में बहुत महत्व होता है। व्रत पूजा-पाठ करने से हमारे जीवन के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं और भगवान का आशीर्वाद भी हम पर होता है। बता दें कि हर माह में अनेकों व्रत और पूजा पाठ किए जाते हैं जिन्हे करने से हमारे सभी कष्ट दूर हो जाते हैं। बता दें कि हर माह संकष्टी चतुर्थी का व्रत रखा जाता है। फरवरी माह में ये व्रत 22 फरवरी यानि कि आज हैं।
सभी जानते हैं कि इस दिन भगवान गणेश जी की पूजा की जाती है और उनका आशीर्वाद प्राप्त किया जाता है। संकष्टी चतुर्थी के दिन गणेश भगवान की विधिवत पूजा और व्रत रखने से सभी कष्टों से मुक्ति मिलती है। आइए जानते हैं संकष्टी चतुर्थी से जुड़ी ये कथा-
संकष्टी चतुर्थी कथा-
कथानुसार सत्युग में महाराज हरिशचंद्र के नगर में एक कुम्हार रहता था। एक बार बर्तन बनाते समय कुम्हार ने आंवा लगाया जो ठीक से नहीं पक रहा था, बहुत प्रयासों के बाद भी आंवा नहीं पक रहा था। जिससे निराश होकर कुम्हार ने एक तांत्रिक से इसका हल पूछा, तांत्रिक ने उससे बलि देने से तुम्हारी परेशानी का हल होगा। जिसके बाद कुम्हार ने तपस्वी ऋषि शर्मा की मृत्यु से बेसहारा हुए उनके पुत्र की सकट चौथ के दिन बलि दी।
बता दें कि पुत्रों की मां ने उस दिन भगवान गणेश जी की पूजा की थी जिसके बाद उसके पुत्र जीवीत हो गए। जब सवेरे कुम्हार ने दोनो लड़कों को जीवित पाया तो वह घबराकर राजा के पास गया और अपने किए की माफी मांगी। राजा को जब सारी बात पता चली तो उन्होने बूढ़ी औरत से इसका राज पूछा तो उसने बताया कि सकट चौथ की महिमा और व्रत के बारे में बताया। तब से कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को संकट हारिणी माना जाता है।