नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर के लिए संविधान में बनाए गए अनुच्छेद 35 A को हटाने की मांग हो रही है। इस मांग के खिलाफ लोग वहां आंदोलन कर रहे हैं। आइए जानते हैं कि इस अनुच्छेद का विरोध आखिर क्यों हो रहा है और इसे संविधान से हटाने के लिए याचिका क्यों दाखिल की गई है।
1. यह अनुच्छेद किसी गैर कश्मीरी व्यक्ति को कश्मीर में जमीन खरीदने से रोकता है.
2. भारत के किसी अन्य राज्य का निवासी जम्मू-कश्मीर का स्थायी निवासी नही बन सकता है और इसी कारण वहां वोट नही डाल सकता है.
3. अगर जम्मू-कश्मीर की कोई लड़की किसी बाहर के लड़के से शादी कर लेती है तो उसके सारे अधिकार खत्म हो जाते हैं. साथ ही उसके बच्चों के अधिकार भी खत्म हो जाते हैं.
4. यह अनुच्छेद भारत के नागरिकों के साथ भेदभाव करता है क्योंकि इस अनुच्छेद के लागू होने के कारण भारत के लोगों को जम्मू-कश्मीर के स्थायी निवासी प्रमाणपत्र से वंचित कर दिया जबकि पाकिस्तान से आये घुसपैठियों को नागरिकता दे दी गयी. अभी हाल ही में कश्मीर में म्यांमार से आये रोहिंग्या मुसलमानों को भी कश्मीर में बसने की इज़ाज़त दे दी गयी है.
इसे हटाने की मांग क्यों हो रही है
1. इसे हटाने के लिए पहली दलील यह है कि इसे संसद के जरिए लागू नहीं करवाया गया था.
2. देश के विभाजन के वक्त बड़ी तादाद में पाकिस्तान से शरणार्थी भारत आए. इनमें लाखों की तादाद में शरणार्थी जम्मू-कश्मीर राज्य में भी रह रहे हैं और उन्हें वहां की नागरिकता दे दी गयी है.
3. जम्मू-कश्मीर सरकार ने अनुच्छेद 35A के जरिए इन सभी भारतीय नागरिकों को जम्मू-कश्मीर के स्थायी निवासी प्रमाणपत्र से वंचित कर दिया. इन वंचितों में 80 फीसद लोग पिछड़े और दलित हिंदू समुदाय से हैं.
4. जम्मू-कश्मीर में विवाह कर बसने वाली महिलाओं और अन्य भारतीय नागरिकों के साथ भी राज्य सरकार अनुच्छेद 35A की आड़ लेकर भेदभाव करती है.
वर्तमान स्थिति क्या है
लोगों ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिका में शिकायत की थी कि अनुच्छेद 35A के कारण संविधान प्रदत्त उनके मूल अधिकार जम्मू-कश्मीर राज्य में छीन लिए गए हैं, लिहाजा राष्ट्रपति के आदेश से लागू इस धारा को केंद्र सरकार फौरन रद्द करे.