वैसे तो फैसला चुनाव आयोग का है मगर इसे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की विरोधियों की चुनौती के लिहाज से भी देखा जा सकता है, वो इसलिए क्योंकि चुनाव में जब-जब भारतीय जनता पार्टी को बम्पर जीत मिली है तो विपक्षी दलो ने ईवीएम यानि इलेक्ट्रोनिक वोटिंग मशीन पर सवाल खड़े किए है, और इस दफा चुनाव आयोग ने ऐतिहासिक कदम उठाते हुए हर पोलिंग बूथ पर VVPAT मशीन का इस्तेमाल करने का फैसला किया है. इतना ही नही EVM पर उम्मीदवार के फोटो भी लगे होंगे, अब उन आरोपों का क्या होगा जो बीजेपी पर EVM में गड़बड़ी करके जीतने के लगते रहे है, खासतौर पर अखिलेश यादव, मायावती और केजरीवाल की तरफ से
तो पहले ये जान लीजिए की VVPAT मशीन होती क्या है….
VVPAT यानि वोटर वेरीफाइड पेपर ऑडिट ट्रेल, ये एक तरह की मशीन होती है, जिसे ईवीएम के साथ जोड़ा जाता है, इसका फायदा यह होता है कि जब कोई भी शख्स ईवीएम का इस्तेमाल करके अपना वोट देता है तो इस मशीन में वह उस प्रत्याशी का नाम भी देख सकता है, जिसे उसने वोट दिया है, VVPAT मशीन के तहत वोटर विजुअली सात सेकेंड तक यह देख सकेगा कि उसने जो वोट किया है जो उसके प्रत्याशी को गया है या नही, इसके बाद पर्ची एक बॉक्स में गिर जाएगी, यह व्यवस्था इसलिए है कि किसी तरह का विवाद होने पर ईवीएम में पड़े वोट के साथ पर्ची का मिलान किया जा सके.
हालांकि evm का इस्तेमाल भारत में काफी से हो रहा है लेकिन मोदी सरकार बनने के बाद से EVM पर विपक्षी दल सवाल खड़े करते आ रहे है….2017 में जब अखिलेश यादव को बूरी तरह हार का सामना करना पड़ा था तब उन्होंने बीजेपी पर सवाल खड़े कर EVM को हेक करने की बात की थी साथ ही मायावती और अरविंद केजरीवाल ने भी EVM की विश्वसनियता पर सवाल उठाए थे, आम आदमी पार्टी ने तो बाकायदा दिल्ली विधानसभा का विशेष सत्र बुलाकर दावा किया था कि ईवीएम से छेड़छाड़ की गई है. हालांकि अब प्रश्न ये उठता है कि अगर इस बार फिर नरेंद्र मोदी की सत्ता में वापसी होती है , तो क्या विपक्षी दल सरकार से माफी मांगेंगे, या फिर VVPAT को भी हेक कहेंगे।
सूत्रों के मुताबिक लोकसभा चुनावों में सभी बूथों पर VVPAT मशीनें उपलब्ध कराने के लिए 16.15 लाख मशीनों का ऑर्डर दिया गया है।