गुवाहाटी: असम एनआरसी मामले में सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से जानकारी की मांग की है. मंगलवार को सुनवाई करते हुए कोर्ट ने चुनाव आयोग से पूछा कि अगर असम के किसी व्यक्ति का नाम 31 जुलाई को प्रकाशित होने वाली असम एनआरसी की फाइनल लिस्ट में नहीं है लेकिन अगर उसका नाम मतदाता सूची में है तो ऐसे में आप क्या कार्रवाई करेंगे? इस सवाल पर चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि एनआरसी के ड्राफ्ट में नाम शामिल न होने पर किसी वोटर का नाम काटा नहीं गया है.
मंगलवार को असम एनआरसी मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से 2016, 2017 और 2018 के जनवरी महीने में रिवाइज की गई वोटर लिस्ट की जानकारी उपलब्ध कराने को भी कहा है. इसमें सुप्रीम कोर्ट ने मतदाता सूची में जोड़े गए और हटाए गए नामों से संबंधित जानकारी मांगी है. कोर्ट ने इसके लिए चुनाव आयोग को 28 मार्च तक का समय दिया है.
बता दें कि 8 मार्च को सुप्रीम कोर्ट ने लोकसभा चुनाव से पहले असम में कई श्रेणियों के लोगों को मताधिकार से कथित रूप से वंचित करने के मामले में निर्वाचन आयोग के सचिव को 12 मार्च को पेश होने का निर्देश दिया था. प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर और न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की पीठ ने इस याचिका पर एक फरवरी को नोटिस जारी किया था. इसके बावजूद आयोग की ओर से कोई पेश नहीं हुआ था. इस पर न्यायालय ने आयोग के सचिव को व्यक्तिगत रूप से पेश होने का निर्देश दिया था.
याचिका में ऐसी पांच श्रेणियों के लोगों का जिक्र किया गया है जिनके नाम मतदाता सूची में नहीं हैं. याचिका के अनुसार इन श्रेणियों में कुछ ऐसे लोग भी हैं जिनके नाम राष्ट्रीय नागरिक पंजी के मसौदे में तो हैं परंतु मतदाता सूची में नहीं हैं. याचिका में आरोप लगाया गया है कि मताधिकार से वंचित किए जा रहे लोगों में ऐसी श्रेणी के लोग भी शामिल हैं जिनके नाम राष्ट्रीय नागरिक पंजी के मसौदे में हैं परंतु उन्हें मतदाता सूची से हटा दिया गया है. याचिका में दावा किया गया है कि इन लोगों ने 2014 में हुये लोक सभा चुनावों में मतदान किया था.
याचिका में कहा गया है कि इसमें ऐसे लोग भी हैं जिनके नाम नागरिक पंजी के अंतिम मसौदे में शामिल नहीं थे परंतु उन्होंने बाद में अपने नाम शामिल कराने के लिये दावा फार्म भरे हैं. ऐसे लोगों ने इससे पहले के लोकसभा चुनावों में मतदान किया था और इस समय नाम शामिल होने का इंतजार कर रहे हैं.