नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश पिनाकी चंद्र घोष (पीसी घोष) को देश का पहला लोकपाल नियुक्त कर दिया गया है. उनके अलावा इस लोकपाल में न्यायपालिका से हाईकोर्ट के 4 पूर्व न्यायधीश, चार आईएएस और आईपीएस व अन्य सेवाओं के रिटायर अधिकारी शामिल होंगे.
बता दें कि आगामी चुनाव से ठीक पहले पीसी घोष की नियुक्ति को सरकार के मास्टर स्ट्रोक के रूप में देखा जा रहा है. इसके साथ ही मोदी सरकार ने विपक्ष से आखिरी समय में बड़ा एक बड़ा मुद्दा छीन लिया है. तो आइए जानते हैं पीसी घोष के बारे में…
एनएचआरसी के सदस्य हैं जस्टिस घोष
जस्टिस पीसी घोष उच्चतम न्यायालय के जज रह चुके हैं. उन्हें मानवाधिकार कानूनों पर उनकी बेहतरीन समझ और विशेषज्ञता के लिए जाना जाता है. वह राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) के सदस्य भी हैं. अपने दिए गए फैसलों में वह मानवाधिकारों की रक्षा की बात बार-बार करते थे. इसके अलावा पीसी घोष आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस भी रह चुके हैं.
शशिकला को सजा सुनाकर चर्चा में आए थे जस्टिस घोष
जस्टिस घोष ने अपने सुप्रीम कोर्ट कार्यकाल के दौरान कई अहम फैसले दिए. वह चर्चा में उस समय आ गए जब उन्होंने तमिलनाडु की मुख्यमंत्री रहीं जयललिता की करीबी शशिकला को आय से अधिक संपत्ति मामले में सजा सुनाई थी. उन्होंने शशिकला समेत बाकी आरोपियों को दोषी करार देने के निचली अदालत के फैसले को बरकरार रखा. हालांकि फैसला सुनाए जाने से पहले तक जयललिता की मौत हो चुकी थी.
जस्टिस घोष के अहम फैसले
- जस्टिस घोष ने अयोध्या में विवादित ढांचा विध्वंस मामले में जस्टिस रोहिंग्टन के साथ पीठ में रहते हुए निचली अदालत को भाजपा नेता लाल कृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती, कल्याण सिंह और बाकी नेताओं पर आपराधिक साजिश की धारा के तहत आरोप तय करने का आदेश दिया था.
- जस्टिस घोष, चीफ जस्टिस एच एल दत्तू और जस्टिस कलीफुल्ला के साथ उस पीठ के भी सदस्य थे, जिसने तय किया था कि सीबीआई की ओर से दर्ज मुकदमे में दोषी ठहराए गए राजीव गांधी के दोषियों की सजा माफी का अधिकार राज्य सरकार को नहीं है.
- जस्टिस राधाकृष्णन के साथ पीठ में रहते हुए जस्टिस घोष ने जल्लीकट्टू और बैलगाड़ी दौड़ जैसी परंपराओं को पशुओं के प्रति क्रूरता मानते हुए उन पर रोक लगाई.
- वह अरुणाचल में राष्ट्रपति शासन के फैसले को पलटते हुए वहां पहले की स्थिति को बहाल करने वाली संविधान पीठ में भी शामिल रहे हैं. इसके अलावा सरकारी विज्ञापनों के लिए दिशा निर्देश तय करने वाली बेंच के भी वो सदस्य थे.
लोकपाल का ये होगा काम
लोकपाल केंद्रीय सतर्कता आयोग के साथ मिलकर काम करेगा. लोकपाल सीबीआई समेत किसी भी जांच एजेंसी को आरोपों की जांच करने का आदेश दे सकेगा. इसके अलावा इसकी जांच के दायरे में प्रधानमंत्री, केंद्रीय मंत्री सांसद और सभी तरह के कर्मचारी आएंगे.