नई दिल्ली: लोकसभा चुनाव 2019 के लिए बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह आज गांधीनगर से अपना नामांकन दाखिल किया. यहां उनके साथ गृहमंत्री राजनाथ सिंह, केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी, केंद्रीय मंत्री राम विलास पासवान, शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे, अकाली दल के नेता प्रकाश सिंह बादल मौजूद रहे. हालांकि नामांकन से पहले शाह ने चार किलोमीटर तक का रोड शो किया.
Gandhinagar: BJP President Amit Shah files his nomination for Gandhinagar parliamentary constituency. #LokSabhaElections2019 #Gujarat pic.twitter.com/u4oMwnCk4K
— ANI (@ANI) March 30, 2019
इस दौरान अमित शाह ने अहमदाबाद में सरदार वल्लभ भाई पटेल की मूर्ति पर माल्यार्पण किया. शाह ने जनसभा को संबोधित करते हुए कहा कि मैं आडवाणी जी की विरासत का आगे बढ़ाने की कोशिश करूंगा. इस दौरान मैं भी चौकीदार के नारे लगते रहे. उन्होंने कहा कि मेरा सौभाग्य है कि भाजपा मुझे यहीं से सांसद बनाने जा रही है. मुझे आज 1982 के दिन याद आ रहे हैं. जब मैं यहां के एक छोटे से बूथ का बूथ अध्यक्ष था.
Ahmedabad: BJP President Amit Shah pays tribute to Sardar Vallabhbhai Patel, he will file his nomination for Gandhinagar parliamentary constituency today. #Gujarat pic.twitter.com/HL1a0fupMx
— ANI (@ANI) March 30, 2019
उन्होंने कहा कि मुझे विश्वास है कि नरेंद्र मोदी देश के प्रधानमंत्री निश्चित रूप से बनने वाले हैं. मैं गुजरात की जनता से अपील करना चाहता हूं कि गुजरात की सभी 26 सीटें नरेन्द्र मोदी जी को दे दीजिए और मोदी को शान से प्रधानमंत्री बनाइए.
इस दौरान शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने कहा कि कई लोगों को इस बात का आश्चर्य है कि मैं यहां क्यों आया हूं. कुछ लोगों को मेरे और बीजेपी के मनमुटाव से खुशी थी. लेकिन मैं उन लोगों से कहना चाहूंगा कि हमारे बीच का मनमुटाव खत्म हो चुका है. अमित शाह से मेरा दिल मिल गया है. आज हमारी सोच एक है, विचार एक है, नेता एक है.
वहीं केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने इस दौरान अमित शाह की तारीफ की. उन्होंने कहा कि एक ओर जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में देश आगे बढ़ रहा है, वहीं दूसरी ओर अमित शाह के नेतृत्व में बीजेपी दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी बन गई है. मुझे यकीन है कि यहां से शाह की जीत पक्की है.
बता दें, अमित शाह के लिए समर्थन और गठबंधन के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बाद दूसरे सबसे पॉवरफुल नेता के रूप में उनकी स्वीकार्यता के तौर पर देखा जा रहा है. वह पहली बार लोकसभा चुनाव के मैदान-ए-जंग में उतर रहे हैं. उनसे पहले साल 1998 से लगातार लालकृष्ण आडवाणी जीतते आ रहे हैं. लेकिन इस बार पार्टी ने उन्हें टिकट नहीं दिया है.