लखनऊ: कैंसर को शुरुआती लक्षणों के साथ पहचान कर ली जाए , तो क्लीनिकल से लेकर सर्जिकल तकनीक से इलाज सम्भव है। इनमें एक नयी तकनीक स्टिरियोटैट्रिक रेडियो सर्जरी है जो कि बेहद कारगर कहलाती है। इस तकनीक से शरीर के महत्वपूर्ण अंग लंग, लिवर एवं हड्यिों के कैंसर इलाज आसान हो गया है। यह जानकारी यूरोओंकोकॉन 2019 के दूसरे दिन कैंसर के वरिष्ठ डा. प्रमोद ने दी। कन्वेंशन सेंटर में आयोजित कार्यशाला में कैंसर के विशेषज्ञ डा. अनिल एल्हेंस, डा. क्रिस्टोफर वुड के अलावा केजीएमयू के यूरोलॉजी विभाग के प्रमुख डा. एस एन शंखवार ने भी विभिन्न क्लीनिकल अपडेट की जानकारी दी।
डा. प्रमोद ने कहा कि यह तकनीक एक रेडियेएशन थेरेपी है। इसे प्रभावित हिस्से में तीन दिन तक रेडियेशन देते हैं। इसके बाद प्रभावित अंग कैंसर मुक्त होने की पूरी सम्भावना रहती है। यूरोलॉजी विभाग के प्रमुख डा. एसएन शंखवार ने कहा कि रेडिकल नेफरेक्टामी तकनीक से किडनी, एड्रेनल ग्लैंड के आसपास के लिम्फ नोड्स और फैटी टिश्यू को निकाल दिया जाता है । इसमें माइनर चीरे से कैंसरग्रस्त भाग के कोशिकाओं को निकाल दिया जाता हैं, जब किडनी का कैंसर दूर की साइट्स तक फैल जाता है तो इस साइट को मेटास्टेटेस कहते हैं।
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सर्जरी के द्वारा मेटास्टेकसेस को निकालने से कुछ दर्द से राहत मिलती है। किडनी कैंसर पर दवाओं का असर नहीं होता है तो इम्यूनो आंकोलॉजी थेरैपी दी जाती है। इससे कैंसर को बढ़ावा देने वाली रासायनिक क्रियाएं नियंत्रित हो जाती हैं। ऐसे में बायोलॉजिकल थेरेपी या इम्यूनो आंकोलॉजी थेरैपी का प्रयोग किया जाता है। शरीर की प्रतिरक्षा सुरक्षा को बढ़ावा देने वाले प्रोटीन दिए जाते हैं। इसके अलावा कुछ नयी दवाएं भी आ गयी है। जो कि काफी हदतक कारगर होती है। यूरोलाजी के वरिष्ठ डा. मनोज ने बताया कि दिन भर में आठ से 10 गिलास पानी पीने से किडनी में मौजूद हानिकारक तत्व पेशाब के साथ बाहर निकल जाते हैं।
इससे आप किडनी के रोगों से बचे रहते हैं। चाहें तों पानी में नींबू के रस को निचोड़ कर भी पी सकते हैं इससे शरीर को विटामिन सी व पानी दोनों साथ मिलता है। जहां तक किडनी कैंसर की बात हैतो यह स्मोकिंग और तंबाकू चबाने से सबसे ज्यादा होता है।