Sunday, April 20, 2025

पूर्वांचल का किला बचाए रखना मोदी व योगी के लिए बड़ी चुनौती

नई दिल्ली: पूर्वांचल के भाजपा के किले को भेदने के लिए कांग्रेस और गठबंधन दोनों एड़ी चोटी का जोर लगाए हुए हैं। जहां कांग्रेस की ओर से महासचिव प्रियंका गांधी की प्रतिष्ठा दांव पर लगी हुई है वहीं अखिलेश और माया के लिए भी चुनौती कम नहीं है। उत्तर प्रदेश के इस इलाके की 26 सीटों के लिए चुनावी बिसात पर मोहरें लगभग बिछ चुकी हैं। भाजपा के लिए यहां अपनी साख बचाए रखने की चुनौती है तो वहीं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ के लिए भी भाजपा के इस किले को बचाये रखना किसी अग्नि परीक्षा से कम नहीं है। पिछले लोकसभा चुनाव में मोदी लहर में भाजपा और उसके सहयोगी दलों ने यहां 26 में से 24 लोकसभा सीटों पर विजय हासिल की थी लेकिन इस बार राजनीतिक परिस्थितियां भिन्न हैं।

जहां इस बार कोई लहर नहीं है तो वहीं गठबंधन ने कड़ी चुनौती पेश कर रखी है। दूसरी तरफ कांग्रेस जिसका कि कभी इस क्षेत्र पर दबदबा होता था प्रियंका के करिश्मे से उम्मीद पाले बैठी है। भाजपा की सारी उम्मीदें राष्ट्रवाद की लहर पर अपनी नैया पार लगाने पर टिकी हैं तो सोशल इंजीनियरिंग के बूते गठबंधन मोदी योगी के रथ को रोकने के लिए कमर कसे हुए है। कांग्रेस ने प्रियंका को पूर्वी उत्तर प्रदेश का प्रभारी बना कर बड़ा दांव चला है। 2014 में इस क्षेत्र में कांग्रेस की स्थिति बेहद खराब रही थी। लोकसभा और विधानसभा दोनों चुनावों में उसका प्रतिशत सबसे कम रहा था।

राक्षस प्रवृत्ति के आजम को हराएगी ‘आदिशक्ति’ रूपी भाजपा उम्मीदवार : अमर सिंह

पूर्वी उत्तर प्रदेश की जिम्मेदारी मिलने के बाद प्रियंका ने गंगा जमुनी तहजीब के सहारे वोट यात्रा कर क्षेत्र के कांग्रेसियों में जान फूंकने की कोशिश तो की है लेकिन यह कवायद पार्टी के लिए सीटों में बदल पायेगी यह तो रिजल्ट आने के बाद ही पता चल पायेगा। पूर्वांचल में एक कहावत है कि यहां किसके समर्थन में कब पुरवइया चल जाये यह कोई नहीं बता सकता। राजनीति में माना जाता है कि दिल्ली के सिंहासन का रास्ता उत्तर प्रदेश से होकर गुजरता है तो वहीं उत्तर प्रदेश में यह माना जाता है कि राज्य की चाबी पूर्वाचल के पास रहती है। देखा जाए तो पूर्वाचल में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, अखिलेश यादव, मनोज सिन्हा, अनुप्रिया पटेल, रवि किशन और निरहुआ जैसे महारथी चुनाव मैदान में है तो वहीं योगी आदित्यनाथ, प्रियंका गांधी, प्रदेश भाजपा अध्यक्ष महेन्द्र नाथ पांडेय जैसे लोगों की प्रतिष्ठा दांव पर है।

वाराणसी से खुद मोदी चुनाव मैदान में हैं। उन पर पूरे पूर्वाचल के भाजपा के उम्मीदवारों की चुनावी नैया पार लगाने की चुनौती है। पिछले दिनों हुए उपचुनाव में जिस तरह से गोरखपुर और फूलपुर की सीटें सपा ने भाजपा से झटकी थी उसके बाद से इस क्षेत्र में योगी की प्रतिष्ठा दांव पर लगी हुई है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यदि जातीय समीकरण का गठबंधन का जादू चल गया तो भाजपा के कई दिग्गजों का खेल बिगड़ सकता है।

Related Articles

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Latest Articles