मिलिए आर्किटेक्चर के इस सूरज से, बिना किसी क्वालिफिकेशन के हासिल किया ये मुकाम

हम आपसे  शेयर करेंगे मर्चेंट नेवी में काम कर चुके रोहित सूरज की सक्सेस स्टोरी, जिन्होंने अपने स्टार्टअप अर्बन ज़ेन से आर्किटेक्चर और डिज़ाइन के क्षेत्र में एक नया मक़ाम हासिल किया है. मर्चेंट नेवी में काम करने के दौरान वह एक सुपर टैंकर के कमांडर थे और इस दौरान उन्होंने पूरी दुनिया घूमी. मर्चेंट नेवी के बाद अर्बन ज़ेन नाम से स्टार्टअप चला रहे रोहित के पास आर्किटेक्चर और डिज़ाइन के क्षेत्र में कोई भी क्वॉलिफ़िकेशन नहीं है और न ही उन्होंने इस क्षेत्र के किसी संगठन में पहले काम किया है, यही बात उन्हें सबसे अलग बनाती है.

उनके काम के पीछे सिर्फ़ मर्चेंट नेवी में रहते हुए पूरी दुनिया घूमने का अनुभव है. उनका कहना है, “दुनियाभर के तमाम देशों की यात्रा के दौरान उन्होंने अलग-अलग देशों के लोगों से मुलाक़ात की और अलग-अलग संस्कृतियों से प्रभावित जगहें देखीं, इन सबसे उन्होंने कुछ न कुछ सीखा.”

रोहित सूरज की स्कूली शिक्षा हैदराबाद और चेन्नई से पूरी हुई. 18 साल की उम्र में अपनी पढ़ाई ख़त्म करने के बाद उन्होंने भारत छोड़ दिया और नौटिकल साइंस की पढ़ाई करने वह ग्लास्गो, स्कॉटलैंड चले गए. इस दौरान उनके पास कुल जमा पूंजी 500 यूरो थी. उन्होंने एक होटल में बतौर डिश वॉशर पार्ट टाइम काम करना शुरू कर दिया. वह बताते हैं, “काम पर पहले ही दिन, मुझसे रेलिंग्स और टॉयलट साफ़ करने के लिए कहा गया. मैं उन रेलिंग्स को इतने अच्छे ढंग से साफ़ किया कि होटल का मैनेजर आश्चर्यचकित रह गया.” रोहित मानते हैं कि यह चाह ही हमेशा उनके करियर को आगे बढ़ाने में उनके काम आई और जिस होटल में उन्होंने बतौर डिश वॉशर काम शुरू किया था, वहाँ एक साल के भीतर ही उन्हें मैनेजर बना दिया गया.

2011 में अर्बन ज़ेन शुरू करने से पहले उन्होंने नॉटिकल साइंस में पोस्ट-ग्रैजुएशन किया और इसके बाद वह ग्लोबल शिपिंग कंपनी कॉन्गलोमरेट मैयरस्क के साथ काम करने लगे. हालाँकि, नौकरी के पहले ही दिन उन्हें एहसास हो गया था कि वह जगह उनके लिए नहीं बनी है, लेकिन वह अपने मां-बाप को नाराज़ नहीं करना चाहते थे, इसलिए उन्होंने काम जारी रखा.

इसके बाद उन्होंने इस क्षेत्र में 10 सालों तक काम किया. इस दौरान वह सबसे कम उम्र में चीफ़ ऑफ़िसर बनने वाले कर्मचारी बने और महज़ 24 साल की उम्र में उन्हें एक सुपर टैंकर की कमान सौंप दी गई.

लेकिन 2000 में जब वह हैदराबाद में अपने घर के कन्सट्रक्शन की देखरेख कर रहे थे, तब उन्हें इस क्षेत्र में काम करने का ख़्याल आया. उनके घर का काम करने वाला आर्किटेक्ट बीच में ही काम छोड़कर चला गया और उन्होंने इंजीनियर्स के साथ मिलकर घर के निर्माण का काम पूरा किया. इस काम की वजह से उन्हें काफी तारीफ मिली, जिससे उन्हें पहली बार ख़्याल आया कि वह इस क्षेत्र में अपना करियर बना सकते हैं.

इसके बाद वह पोर्ट डिज़ाइन की पढ़ाई करने के लिए नीदरलैंड चले गए. फिर उन्हें एक कंपनी में एशिया पसिफ़िक रीजन का डायरेक्टर बना दिया गया. पोर्ट डिज़ाइन के क्षेत्र में काम करने के बाद उनका आत्मविश्वास और बढ़ गया और 2010 में उन्होंने नौकरी छोड़ कर इस क्षेत्र में ऑन्त्रप्रन्योर बनने का फ़ैसला लिया.

पहले प्रोजेक्ट के तौर पर एक घर के निर्माण के दौरान उन्होंने एक अन्य डिज़ाइनर के कॉन्ट्रैक्टर की जिम्मेदारी ली. उस क्लाइंट को रोहित का काम इतना पसंद आया कि उसने आर्किटेक्ट को काम से बाहर कर दिया और उन्हें आर्किटेक्चर और डिज़ाइन की जिम्मेदारी दे दी.

2011 में रोहित सूरज के द्वारा शुरू की गई फ़र्म अर्बन ज़ेन के पास 50 लोगों की टीम है और फ़र्म भारत के अलावा मध्य-पूर्व और यूरोप में भी कई प्रोजेक्ट्स पर काम कर रही है.

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