मुंबई: भगोड़े शराब कारोबारी विजय माल्या ने बांबे हाई कोर्ट में कहा है कि विशेष अदालत ने उसे भगोड़ा आर्थिक अपराधी घोषित कर और उसकी संपत्तियां जब्त करने का आदेश देकर उसे ‘आर्थिक मौत की सजा’ सुना दी है। जस्टिस रंजीत मोरे और जस्टिस भारती डांगरे की पीठ के सामने माल्या ने अपने वकील अमित देसाई के जरिए यह बात कही है। माल्या के खिलाफ भगोड़े आर्थिक अपराधी कानून के तहत सुनवाई के दौरान यह बात कही। यह कानून पिछले साल अगस्त में अमल में आया था।
माल्या ने कहा, ‘मेरे कर्ज और इस तरह के कर्ज पर ब्याज बढ़ रहा है। मेरे पास यह कर्ज चुकता करने के लिए संपत्ति है, लेकिन सरकार कर्ज चुकाने के लिए इन संपत्तियों के इस्तेमाल की अनुमति नहीं दे रही है।’ उसने आगे कहा, ‘यह आर्थिक मौत की सजा है जो उसे सुनाई गई है।’ देसाई ने कोर्ट से अनुरोध किया कि वह देश भर में माल्या की संपत्तियों को जब्त करने की कार्यवाही पर रोक लगाने का आदेश पारित करे। लेकिन पीठ ने किसी भी तरह की अंतरिम राहत देने से इन्कार कर दिया।
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बता दें कि विशेष अदालत ने जनवरी में भगोड़े आर्थिक अपराधी कानून के तहत माल्या को भगोड़ा आर्थिक अपराधी (एफईओ) घोषित किया था। माल्या ने कोर्ट के इस फैसले को चुनौती दी थी। उसने अपनी संपत्तियों को जब्त करने और उसे केंद्र सरकार के नियंत्रण में रखने के फैसले को भी चुनौती दी थी। देसाई ने एफईओ कानून को ‘निर्दयी’ और ‘असंवैधानिक’ बताया। माल्या की याचिका का विरोध करते हुए प्रवर्तन निदेशालय के वकील डीपी सिंह ने इस कानून को सही बताया। उन्होंने कहा कि यह कानून जांच एजेंसियों को अपनी तरफ से कोई कानून करने से रोकता है। कोई भी कार्रवाई करने से पहले अदालत की अनुमति लेने पड़ती है। यह कानून माल्या जैसे लोगों के लिए बनाया गया है।
अदालत ने भी कहा कि यह कानून बेहतर और सख्त है निर्दयी नहीं है। हालांकि, कोर्ट ने कानून को चुनौती देने वाली माल्या की याचिका का जवाब देने के लिए अटार्नी जनरल को नोटिस जारी किया।