नई दिल्ली: कांग्रेस ने कुछ जगहों पर मोदी फैक्टर का असर दिखने के बाद राज्य इकाइयों को कहा है कि सरकार की नाकामियों को अच्छे से गिनाया जाए। पार्टी ने राज्य इकाइयों को यह भी कहा है कि अगर मोदी सरकार की विफलताओं को प्रभावी ढंग से रखने में प्रादेशिक नेताओं से काम नहीं चल रहा हो तो राष्ट्रीय स्तर के बड़े नेता और प्रवक्ता तुरंत तुरंत भेजे जा सकते हैं। दरअसल, कांग्रेस को यह खबर भी मिली थी कि भाजपा इस बात को भी जोर-शोर से प्रचारित कर रही है कि उम्मीदवार की बजाय नरेंद्र मोदी को देखकर वोट किया जाए।
कांग्रेस पांचवें, छठे और अंतिम सातवें चरण में पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, मध्य प्रदेश, हिमाचल और यूपी की सीटों पर मोदी फैक्टर को बेअसर या कमतर करना चाहती है। छह मई से 19 मई तक इन राज्यों में चलने वाले चुनाव में पश्चिम बंगाल की सीटों को मिलाकर 169 सीटें आती हैं। कांग्रेस बिहार और झारखंड में सहयोगियों की भी अपने चुनाव अभियान के जरिए मदद करना चाहती है। कांग्रेस मोदी सरकार की विफलता को किसानों की बजाय उद्योगपति मित्रों की कर्ज माफी, युवाओं को रोजगार नहीं दे पाना, पाकिस्तान के प्रति नरमी के रूप में रख रही है।
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चौथे चरण के चुनाव से कांग्रेस ने मोदी फैक्टर को गंभीरता से लेना शुरू किया। जिसके लिए वोट 29 अप्रैल को डाले जाएंगे। पार्टी के चुनाव प्रबंधकों को लगता है कि पहले और दूसरे चरण में मोदी फैक्टर ने अपना काम नहीं किया और कांग्रेस का 72 हजार रपए सालाना सर्वाधिक र्चचा में रहा। 23 अप्रैल को हुए तीसरे चरण के चुनाव के विषय में कांग्रेस में कहा जा रहा है कि यूपी, बिहार, असम, महाराष्ट्र और गुजरात में कुछ सीटों पर मोदी फैक्टर का थोड़ा असर दिखाई दिया।
कांग्रेस के मुताबिक, इसके लिए भाजपा ने मोदी के लिए वोट नाम से नारा भी चलाने की कोशिश की। इस क्रम में कांग्रेस ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के राष्ट्रवाद, हिंदुत्व और परोक्ष रूप से सेना के विषय में दिए गए भाषणों पर भी गौर किया है। यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ के तीखे बयान और साध्वी प्रज्ञा ठाकुर को भाजपा उम्मीदवार बनाए जाने की र्चचा को भी कांग्रेस ने चुनाव में ध्रुवीकरण से जोड़कर गंभीरता से देखा है।