वाराणसी: लोकसभा चुनाव के मद्देनजर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ वाराणसी से पहले निर्दलीय और फिर आखरी वक्त पर समाजवादी पार्टी के गठबंधन के उम्मीदवार के तौर पर ताल ठोक कर नामांकन करने वाले बर्खास्त जवान तेज बहादुर यादव का पर्चा रिटर्निंग ऑफिसर ने निरस्त कर दिया. जिसके बाद अब वाराणसी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ गठबंधन के प्रत्याशी के तौर पर शालिनी यादव चुनाव लड़ेंगी. तेज बहादुर ने सीधे पीएम मोदी पर आरोप लगाया कि बिना किसी कारण के उनका नामांकन पत्र खारिज किया गया.
तेज बहादुर यादव ने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा
पर्चा खारिज होने के बाद तेज बहादुर यादव ने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि मेरा पर्चा खारिज कर दिया गया है और कल दोपहर में जिस तरीके से मुझे अचानक यह जानकारी दी गई कि आप को चुनाव आयोग का दिल्ली से एनओसी लाकर देना है वह भी 11:00 बजे तक उसके बाद यह साफ हो गया था कि प्रधानमंत्री मोदी नहीं चाहते कि मैं उनके खिलाफ बनारस से चुनाव लड़ा जिस तरह से गठबंधन की तरफ से प्रत्याशी बनाए जाने के बाद समर्थन मिला है.
उसके बाद उन्हें डर लगने लगा है कि वह हार जाएंगे जिसके बाद रणनीति के तहत काम हुआ और अचानक से मुझे पर आरोप लगाकर कि मेरा पर्चा खारिज कर दिया गया जो सच में मेरे ऊपर है ही नहीं फिर बहादुर का कहना था कि मुझ को अनुशासनहीनता के लिए बीएसएफ से निकाला गया था ना कि भ्रष्टाचार के आरोप पर फिर भी मेरा पर्चा खारिज हो गया है अब बनारस से प्रत्याशी शालिनी यादव होंगी और उनके समर्थन में चुनाव प्रचार करूंगा.
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वहीं, अपने उम्मीदवार का पर्चा खारिज होने के बाद समाजवादी पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता मनोज राय धूपचंडी का कहना है कि यह सब होना था और हमें पहले से ही पता था क्योंकि तेज बहादुर मजबूत उम्मीदवार थे और इस बात की आशंका पहले से थी कि उनको चुनाव लड़ने नहीं दिया जाएगा इसलिए हमने शालिनी यादव का भी पर्चा दाखिल करवाया था. उनका परिचय स्वीकार कर लिया गया है और फिलहाल अभी वही वाराणसी से समाजवादी पार्टी की उम्मीदवार हैं और चुनाव लड़ेंगी फिलहाल समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जो फैसला करेंगे वही अंतिम होगा अभी शालिनी ही वाराणसी से सपा की अधिकृत उम्मीदवार के तौर पर मानी जा रही है.
31 लोगों का नामांकन वैध पाया गया
वहीं डीएम ने बताया कि 102 लोगों ने 119 नामांकन किया थे जिसमें 31 लोगों का वैध पाया गया. तेजबहादुर के नामांकन रद्द होने के सवाल पर उन्होंने कहा कि तेजबहादुर ने 2 नामांकन किये थे स्क्रूटनी में पाया गया कि डाक्यूमेंट्स में कमी थे जिसके लिए उन्हें कल शाम को समय दिया गया था ताकि 1 मई सुबह 11 बजे तक वो अपना डाक्यूमेंट्स व इलेक्शन कमीशन ऑफ इंडिया से एनओसी लेकर जमा कर दें लेकिन उन्होंने ऐसा नही किया ऐसी स्थिति में उनका पर्चा निरस्त कर दिया गया.
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डीएम ने बताया कि कोई भी व्यक्ति जो सेंट्रल गवर्नमेंट या स्टेट गवर्नमेंट में नौकरी करता हो और डिसमिस हुआ हो और उसकी तारीख 5 साल के अंदर का हो ऐसे मामले में सेक्शन 9 लोकप्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 33 के तहत एक सर्टिफिकेट चुनाव आयोग से लाना होगा कि वो राष्ट्र या राज्य के खिलाफ किसी अवमानना के केस में डिसमिस नही हुआ है दोनों ही मामले में वो चुनाव आयोग से सर्टिफिकेट लाने के लिए बाध्य है. डीएम ने बताया कि तेजबहादुर को सुबह 11 बजे तक का मौका दिया गया था लेकिन सर्टिफिकेट नही आने के वजह से उनका नामांकन रद्द कर दिया गया. ये प्रक्रिया पूरी सुनवाई के बाद पूरी की गई.