सुप्रीम कोर्ट ने आईएनएक्स मीडिया धन शोधन मामले में पूर्व वित्तमंत्री पी चिदंबरम को ईडी की गिरफ्तारी से मिली राहत एक और दिन के लिए बढ़ा दी। वहीं, मंगलवार को हुई सुनवाई में चिदंबरम के वकील ने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा इस मामले में अब तक उनके मुवक्किल से की गई पूछताछ का लिखित ब्यौरा उपलब्ध कराने की अपील की है।
जस्टिस आर. भानुमति और जस्टिस एएस बोपन्ना की बेंच चिदंबरम की अग्रिम जमानत रद्द करने के दिल्ली हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ दायर अपील पर सुनवाई कर रही है। सुनवाई बुधवार को भी होगी, जिसमें सॉलीसिटर जनरल तुषार मेहता ईडी का पक्ष रखेंगे। चिदंबरम की पैरवी कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा, अनुच्छेद-20 व 21 के तहत नागरिकों को मिले अधिकार को युद्ध और आपात काल के वक्त भी निलंबित नहीं किया जा सकता।
चिदंबरम के खिलाफ जिस धनशोधन कानून के उल्लंघन का आरोप बताया जा रहा है, वह कानून ही 2009 में बना, जबकि आरोप 2007-2008 के हैं। सिंघवी ने कहा कि एजेंसी द्वारा वांछित जवाब न देने का मतलब यह नहीं कि चिदंबरम ईडी के प्रश्नों से भाग रहे हैं।
अचानक कागज देकर हिरासत नहीं मांग सकते
चिदंबरम की पैरवी कर रहे दूसरे वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने कोर्ट से अनुरोध किया कि उनके मुवक्किल से पिछले साल 19 दिसंबर, एक जनवरी और 21 जनवरी, 2019 को की गई पूछताछ का लिखित ब्यौरा पेश करने के लिए ईडी को निर्देश दे। इससे पता चल जाएगा कि क्या चिदंबरम पूछताछ के दौरान जवाब देने से बच रहे हैं, जैसा कि ईडी आरोप लगा रही है। सिब्बल ने कहा कि ईडी अचानक पीछे से कोर्ट को दस्तावेज थमाकर चिदंबरम की हिरासत नहीं मांग सकता।
मामला राजनीतिक दुर्भावना से प्रेरित : चिदंबरम
इस बीच, चिदंबरम ने सुप्रीम कोर्ट ने हलफनामा दाखिल कर इस मामले को राजनीतिक दुर्भावना से प्रेरित बताया है। उन्होंने कहा कि उनकी छवि धूमिल करने की कोशिश हो रही है। उन्हें खलनायक के तौर पर पेश किया जा रहा है। उन्होंने सीबीआई द्वारा प्रताड़ित किए जाने की आशंका भी जताई है।