जम्मू-कश्मीर दौरे पर आए यूरोपीय यूनियन के सांसदों ने बुधवार को प्रेस कांफ्रेंस कर पाकिस्तानी दुष्प्रचार की पोल खोल दी। डेलिगेशन की ओर से कहा गया कि भारत एक शांतिप्रिय देश है और कश्मीर के लोगों को काफी उम्मीदें हैं। प्रेस कॉन्फ्रेंस में EU सांसदों ने कहा कि हमारे दौरे को राजनीतिक नज़र से देखा गया, जो बिल्कुल ठीक नहीं है। हम सिर्फ यहां पर हालात की जानकारी लेने आए थे।
उन्होंने कहा कि हमारे दौरे को गलत प्रचारित किया गया हमने सेना से आतंक से निपटने के तरीके भी पूछे। हमारे दौरे पर विवाद गलत है। 40 साल में 20 से ज्यादा बार भारत आया। पाकिस्तान के दौरे पर भी जा चुका हूं। कश्मीरी लोग शांति और विकास चाहते हैं। उन्होंने खुद को नेताओं द्वारा नाजीवादी बताए जाने पर भी विरोध जताया। सांसदों ने कहा कि हम लोग नाज़ी लवर्स नहीं हैं, अगर हम होते तो हमें कभी चुना नहीं जाता।
सांसदों ने आतंकवाद के मसले पर कहा कि, आतंकवाद अंतरराष्ट्रीय समस्या है। आतंकवाद किसी भी देश को तबाह नहीं कर सकता। इस पर रोक लगनी चाहिए। हम आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में साथ हैं, आतंकवाद का मसला यूरोप के लिए भी काफी महत्वपूर्ण है।
उन्होंने अनुच्छेद 370 के मुद्दे पर भी बात किया। उन्होने कहा कि, ये भारत का आंतरिक मामला है हम इस पर दखल नही करेंगे, अगर भारत-पाकिस्तान को शांति स्थापित करनी है तो दोनों देशों को आपस में बात करनी होगी। जब उनसे सवाल पूछा गया कि क्या वह इस दौरे की रिपोर्ट यूरोपीय संसद में जमा करेंगे, तो उन्होंने कहा कि वह ऐसा नहीं करेंगे।
अपने घाटी के दौरे के बारे में EU सांसदों ने कहा कि हमें वहां रहने का ज्यादा वक्त नहीं मिला, हम जादा लोगों से मुलाकात नहीं कर सके। हालांकि, उन्होंने ये भी कहा कि वहां ना जाने से बेहतर थोड़े समय के लिए जाना ही रहा। उन्होंने कहा कि हमने यहां लोगों से बातचीत की जिससे स्थानीय मुद्दों को समझने में मदद मिली। एक कश्मीरी ने बताया कि यहां बहुत ज्यादा भष्टाचार है, दिल्ली से जो पैसा आता है वो भष्ट्राचार की भेंट चढ़ जाता है।