लोक सुरक्षा अधिनियम(PSA) ने जम्मू कश्मी के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला और पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती पर संगीन आरोप लगाया है। PSA डोजियर में ये बताया गया है कि आखिर दोनो नेताओं को हिरासत में क्यों लिया गया है। उमर अब्दुला पर ये आरोप है कि उन्होंने जम्मू कश्मीर पुनर्गठन की पूर्व संध्या पर अनुच्छेद 370 औऱ 35-ए को लेकर भीड़ को भड़काने का काम किया था।
जम्मू कश्मीर पुनर्गठन को लेकर उमर अब्दुल्ला ने सोशल मीडिया के जरिए लोगों को भड़काया था। हालांकि, डोजियर में उमर के सोशल मीडिया पोस्ट का जिक्र नहीं है। वहीं, उमर की राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी और 60 वर्षीय पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती पर राष्ट्रविरोधी बयान देने और अलगाववादी संगठनों को समर्थन देने का आरोप लगाया गया है। इस संगठन पर गैर कानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम के तहत पाबंदी लगाई गई है।
वहीं, डोजियर में महबूबा के जुलाई 2019 को दिए भाषणों का हवाला दिया गया है, जिसमें उन्होंने कहा था कि अनुच्छेद 370 व 35ए से छेड़छाड़ करना बारूद को हाथ लगाने के बराबर होगा। जो हाथ छेड़छाड़ के लिए उठेंगे, वह हाथ ही नहीं, सारा जिस्म जलकर राख हो जाएगा। एक अन्य भाषण में महबूबा ने कहा था कि अनुच्छेद-370 की समाप्ति पर जम्मू कश्मीर में कोई तिरंगा उठाने वाला नहीं होगा।
उमर के पिता और पांच बार मुख्यमंत्री रहे फारूक अब्दुल्ला को बीते साल सितंबर में ही पीएसए के तहत हिरासत में लिया गया था। यह कानून फारूक के पिता शेख अब्दुल्ला ने 1978 में लकड़ी के तस्करों से निपटने के लिए लागू किया था। दरअसल, ये तस्कर उन दिनों आसानी से हिरासत से कम दिनों में ही छूट जाते थे। शेख अब्दुल्ला तब यह कानून इसलिए लाए कि बिना मुकदमे के लकड़ियों के तस्करों को दो साल तक के लिए जेल भेजा जा सके।