जामिया मिलिया इस्लामिया के छात्रों ने नागरिकता कानून के खिलाफ मार्च निकाला लेकिन इस बीच पुलिस के साथ उनकी झड़प हो गई। इस झड़प में कुछ छात्र घायल हुए। दिल्ली पुलिस छात्रों के मार्च को संसद की ओर जाने से रोक रही थी। कुछ छात्रों का आरोप लगाया है कि उन पर पुलिस ने हमला किया।
जामिया की एक छात्रा का इस मामले पर कहना है कि उस पर महिला पुलिसकर्मी ने हमला किया और बुर्का उतार फेंका। वहीं समाजवादी पार्टी के आधिकारिक टि्वटर हैंडल से ट्वीट किया गया है कि दिल्ली में सीएए के खिलाफ शांतिपूर्ण मार्च पर निकले छात्रों पर लाठीचार्ज अत्यंत दुखद है। संविधान विरोधी कानून से मिले विरोध के मौलिक अधिकार को भी सत्ता तले कुचला जा रहा है. घायल छात्रों के प्रति संवेदना है. हम इस कायरता की भर्त्सना करते हैं।
सीएए, एनआरसी और एनपीआर के खिलाफ जामिया कोऑर्डिनेशन कमेटी (जेसीसी) ने इस मार्च का आयोजन किया है। संसद कूच करते वक्त प्रदर्शनकारियों को ओखला के होली फैमिली अस्पताल के सामने पुलिस ने रोकने की कोशिश की, इस दौरान दोनों पक्ष आमने-सामने आ गए।
डीसीपी साऊथ ईस्ट आरपी मीणा ने कहा, इन लोगों को संसद तक जाने की कोई परमिशन नहीं थी इसलिए हमने इनको रोका है. हमारे पास महिला और पुरुण बल मौजूद हैं. इन्हें कंट्रोल करने के लिए 6 कंपनियां लगी हुई है।
सुरक्षा बलों ने उस समय प्रदर्शनकारियों पर लाठीचार्ज किया, जब प्रदर्शनकारियों ने उनपर पानी के पाउच फेंके और गालियां दीं. सीएए विरोधी मार्च सोमवार को निर्धारित समय से काफी देर से जामिया मिलिया इस्लामिया से भारी सुरक्षा के बीच शुरू हुआ. पुलिस ने शुरुआत में प्रदर्शनकारियों को मार्च की अनुमति नहीं दी थी.
संसद मार्च का आह्वान नागरिकता संशोधन कानून और राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर के खिलाफ जामिया कोऑर्डिनेशन कमेटी ने किया था. इसी तरह का एक मार्च महात्मा गांधी के शहादत दिवस पर 30 जनवरी को बापू की समाधि राजघाट तक निकाला जा रहा था, जिस दौरान खुद को रामभक्त बताते वाले एक युवक ने सीएए के समर्थन नारे लगाते हुए प्रदर्शनकारियों पर गोली दाग दी थी, जिसमें एक छात्र घायल हो गया था.