नई दिल्ली– राजनीति में बढ़ रही आपराधिक छवि वाले उम्मीद्वारों की हिस्सेदारी को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने राजनीतिक पार्टियों को निर्देश दिया है कि वे अपनी वेबसाइट पर आपराधिक पृष्ठभूमि से आने वाले उम्मीद्वारों के चयन का कारण बताए। अदालत ने यह फैसला इसलिए दिया है क्योंकि पिछले चार राष्ट्रीय चुनावों में आपराधिक पृष्ठभूमि से आने वाले उम्मीद्वारों की संख्या बढ़ी है। शीर्ष अदालत ने राजनीतिक पार्टियों को निर्देश दिया है कि वे 48 घंटे के अंदर अपनी वेबसाइट औऱ सोशल मीडिया पर विवरण अपलोट करें। साथ ही पार्टियों को 72 घंटे के भीतर चुनाव आयोग को ब्यौरा देना होगा।
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सर्वोच्च न्यायालय ने राजनीतिक दलों को अखबारों, सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स और अपनी वेबसाइट पर आपराधिक पृष्ठभूमि वाले उम्मीदवारों के चयन का कारण बताते हुए वेबसाइट पर उनका परिचय पत्र, उपलब्धियां और उनके अपराध का विवरण प्रकाशित करने का भी निर्देश दिया है।
उच्चतम न्यायालय का कहना है कि यदि राजनीतिक दल आदेश का पालन नहीं करते हैं तो वह अवमानना के उत्तरदायी होंगे। अदालत ने चुनाव आयोग से कहा है कि यदि राजनीतिक पार्टियां आदेश का पालन करने में विफल रहती हैं तो वह अदालत में अवमानना याचिका दायर करे।
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बता दें कि सुप्रीम कोर्ट को यह तय करना था कि क्या राजनीतिक दलों को ऐसे लोगों को चुनाव के टिकट देने से रोकने का निर्देश दिया जा सकता है, जिनका आपराधिक पृष्ठभूमि हो। न्यायमूर्ति रोहिंटन नरीमन और एस रविंद्र भट की एक पीठ द्वारा याचिकाओं पर आदेश दिया गया।
कई याचिकाकर्ताओं में से बीजेपी नेता अश्विनी उपाध्याय ने सुप्रीम कोर्ट से मांग की थी कि कोर्ट चुनाव आयोग को निर्देश दे कि वह राजनीतिक दलों पर दबाव डाले कि राजनीतिक दल आपराधिक पृष्ठभूमि वाले नेताओं को टिकट न दें। ऐसा होने पर आयोग राजनीतिक दलों के खिलाफ कार्रवाई करे।