सुप्रीम कोर्ट ने सेना में महिला अधिकारियों के लिए अहम फैसला सुनाया है। सुप्रीम कोर्ट ने महिला अधिकारियों को स्थाई कमीशन देने वाली मांग वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार को कहा कि जब 2010 में दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेश के बाद इसे लागू किया जाना चाहिए था। अदालत ने केंद्र को अपने नजरिए और मानसिकता में बदलाव लाने को कहा है। अदालत के फैसले के बाद महिलाओं को युद्ध क्षेत्र छोड़कर बाकी सभी स्थानों पर तैनाती मिलने का रास्ता साफ हो गया है।
We dispose off the petitions and necessary compliance of this court's order within a period of 3 months, says Justice Chandrachud. https://t.co/dQYt7hwhhe
— ANI (@ANI) February 17, 2020
शीर्ष अदालत ने दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेश को बरकरार रखते हुए कहा कि महिलाओं के सेना के 10 विभागों में स्थायी कमीशन दिया जाए। अदालत ने सरकार के महिलाओं को कमांड न देने को लेकर दिए तर्क को अतार्किक और समानता के अधिकार के खिलाफ बताया। अदालत ने कहा कि सशस्त्र बलों में लिंग आधारित भेदभाव खत्म करने के लिए सरकार की ओर से मानसिकता में बदलाव जरूरी है।
दरअसल, 2010 के मार्च में हाई कोर्ट ने सेना में आने वाली महिलाओं की 14 साल की सर्विस पूरी होने के बाद पुरुषों की तरह स्थायी कमीशन देने का आदेश दिया था। यह आदेश शार्ट सर्विस कमीशन के तहत दिया गया था।बता दें कि रक्षा मंत्रालय ने इसपर कोर्ट के समक्ष विरोध जताया। कोर्ट ने मंत्रालय की अपील को सुनवाई के लिए स्वीकार कर लिया, लेकिन हाई कोर्ट के फैसले पर रोक नहीं लगाई। उल्लेखनीय है कि सुनवाई के दौरान कोर्ट का रवैया महिला अधिकारियों के प्रति सहानुभूतिपूर्ण रहा।