दिल्ली के कोर्ट ने निर्भया मामले में चारों दोषियों के डेथ वारंट पर रोक लगा दी है। जोकि अगला आदेश आने तक जारी रहेगा। कोर्ट ने डेथ वारंट पर रोक लगाने के पीछे की वजह यह बताई है कि चारों दोषियों में से एक दोषी पवन की दया याचिका राष्ट्रपति के पास लंबित है। इससे पहले सोमवार को ही निर्भया के 2 दोषियों अक्षय सिंह और पवन कुमार गुप्ता की द्वारा दायर याचिका जिसमें डेथ वारंट पर रोक लगाने की मांग को पटियाला हाउस कोर्ट ने खारिज कर दिया था।
2012 Delhi gang-rape case: A Delhi court stays the execution of the 4 convicts and defers the matter for further orders pic.twitter.com/35SquDtOPL
— ANI (@ANI) March 2, 2020
निर्भया की मां अदालत के इस फैसले से निराश हैं उनका कहना है कि दोषियों को फांसी देने के लिए अदालत कोअपने ही आदेश पर अमल करने में इतना समय क्यों लगा रही है? फांसी को बार-बार स्थगित करना हमारे सिस्टम की विफलता को दर्शाता है। हमारा पूरा सिस्टम अपराधियों का समर्थन करता है।
Asha Devi, mother of 2012 Delhi gang-rape victim: Why is the court taking so much time to execute its own order to hang the convicts? Repeated postponing of the execution shows the failure of our system. Our entire system supports criminals. pic.twitter.com/JFmU1qSU46
— ANI (@ANI) March 2, 2020
दोषियों के वकील एपी सिंह ने मीडिया को बताया कि हम कानूनी विकल्पों का इस्तेमाल कर रहे हैंकोर्ट के आदेश के अनुसार निर्भया के चारो दोषियों को कल सुबह 6 बजे फांसी होनी थी। राष्ट्रपति के पास दया याचिका लंबित होने के कारण कोर्ट ने डेथ वारंट पर रोक लगा दी है। कोर्ट ने कहा कि जब तक किसी दोषी के पास कानून विकल्प मौजूद हैं तब तक उसे फांसी नहीं दी जा सकती। इधर फांसी देने के लिए पवन जल्लाद भी तिहाड़ पहुंच गया था।
निर्भया केस में चार दोषी मुकेश सिंह, विनय शर्मा, अक्षय कुमार सिंह और पवन गुप्ता हैं। आज ही सुप्रीम कोर्ट ने पवन गुप्ता की सुधारात्मक याचिका खारिज कर दी थी। जस्टिस एन वी रमन्ना की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि कहा दोषी की दोषसिद्धि और सजा की पुन: समीक्षा का कोई मामला नहीं बनता। जिसके बाद पनन ने राष्ट्रपति के सामने दया की अर्जी लगाई.दक्षिण दिल्ली में 16-17 दिसंबर, 2012 को हुये इस जघन्य अपराध के लिये चार दोषियों को मौत की सजा सुनायी गई थी लेकिन फांसी से बचने के लिए ये आरोपी कानूनी पेचीदगियों का इस्तेमाल कर रहे हैं।