नई दिल्ली, राजसत्ता डेस्क। कोरोना वायरस के फैलते संक्रमण को रोकने के लिये स्वास्थय़ कर्मी अपनी जान की परवाह न करते हुये दिन रात लगे हुये हैं। पीएम मोदी द्वारा इन्हें कोरोना योद्धा कहा गया है लेकिन मौजूदा दौर में इन कर्मियों पर हमले की घटनाएं लगातार बढ़ती जा रही हैं। इन घटनाओं से सबक लेते हुए मोदी सरकार ने बड़ा फैसला लिया है। इसके तहत अब इन स्वास्थय कर्मियों पर हमला करने वाले ऐसा करने से पहले कई दफा सोचेंगे। कानून में नये संशोधन के मुताबिक दोषियों को सात साल तक की जेल या फिर दो लाख का जुर्माना लगाया जा सकता है। जानिये आखिर सरकार ने क्या फैसला लिया और आरोपी किस तरह की सजा पाएंगे
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को एक अध्यादेश को मंजूरी दी। इसमें हमला करनेवालों के खिलाफ हिंसा या फिर हमले को संज्ञेय और गैर जमानती अपराध बनाया गया है। केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने सरकार के इस फैसले के बारे में जानकारी दी।
उन्होंने कहा कि सरकार ऐसी घटनाओं को अब बर्दाश्त नहीं करेगी। इस अध्यादेश के तहत स्वास्थ्यकर्मियों के घायल होने, सम्पत्ति को नुकसान होने पर मुआवजे का भी प्रावधान किया गया है। जावड़ेकर ने कहा कि महामारी अधिनियम 1897 में संशोधन किया गया है। दोषियों को कड़ी सजा देने का प्रावधान किया गया है।
In case of grievous injuries, the accused can be sentenced from 6 months to 7 years. They can be penalised from Rs 1 Lakhs to Rs 5 Lakhs: Union Minister Prakash Javadekar pic.twitter.com/VEXjQVz2x8
— ANI (@ANI) April 22, 2020
उन्होंने जानकारी देते हुये बताया कि मेडिकलकर्मियों पर हमला करने वालों को जमानत नहीं मिलेगी, 30 दिन के अंदर इसकी जांच पूरी की जाएगी। एक साल के अंदर फैसला लाया जाएगा, जबकि 3 महीने से 5 साल तक की सजा हो सकती है।
गंभीर मामलों में सात साल की जेल
यह पूछे जाने पर क्या कोविड-19 के बाद भी नए बदलाव लागू रहेंगे, जावड़ेकर ने कहा कि इस अध्यादेश को महामारी अधिनियम 1897 में संशोधन के लिए मंजूरी दी गई है। अध्यादेश में गंभीर मामलों में छह महीने से सात साल तक की सजा का प्रावधान किया गया है। इसके अलावा 50 हजार से दो लाख का जुर्माना भी लगाये जाने का प्रावधान है।
जावडेकर ने बताया कि इस महामारी से देश को बचाने की कोशिश कर रहे स्वास्थ्यकर्मी दुर्भाग्य से हमलों का सामना कर रहे हैं। उनके खिलाफ हिंसा या इस तरह की कोई घटना बर्दाश्त नहीं की जाएगी। एक अध्यादेश लाया गया है, इसे राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद लागू किया जाएगा। यही नहीं उन्होंने कहा कि अगर स्वास्थ्यकर्मियों के वाहनों या क्लीनिक को नुकसान पहुंचता है तो क्षतिग्रस्त संपत्ति का दोगुना मुआवजा दोषियों से लिया जाएगा।