नई दिल्ली, राजसत्ता एक्सप्रेस। कोरोना वायरस इंसानों के शरीर में अजीब का असर दिखा रहा है। ऐसा ही एक विचित्र मामला चीन में देखने को मिला, जहां कोविड-19 का इलाज कर रहे दो डॉक्टर्स भी संक्रमित हो गए और इसका अजीब सा असर उनकी त्वचा पर देखने को मिला है। ये दो डॉक्टर्स यी फैन और हू वाइफैंग हैं। संक्रमित होने से इन दोनों का लिवर खराब होने के साथ-साथ त्वचा का रंग भी बदल गया। कोरोना के असर ऐसा हुआ कि इन दोनों की त्वचा काली पड़ गई। हालांकि, दोनों का इलाज चल रहा है और अब इनकी हालत में पहले से सुधार बताया जा रहा है।
इनकी देखभाल करने वाले डॉक्टरों का कहना है कि हार्मोन्स में बदलाव की वजह से इनकी त्वचा का रंग काला पड़ा है। बता दें कि डॉक्टर हू वाइफैंग कोरोना संक्रमण की जानकारी देने वाली टीम के सदस्यों में से एक हैं।
कोरोना पॉजिटिव होने की पुष्टि हो जाने के बाद 18 जनवरी को डॉ. यी फैन और हु वाइफैंग को अस्पताल में भर्ती किया गया था। डॉ. यी फैन हृदयरोग विशेषज्ञ हैं, जिन्होंने 39 दिनों में ही कोविड-19 के संक्रमण को मात दे दी। हालांकि, इस दौरान उन्हें वेंटिलेटर पर रखा गया था। डॉ. यी का कहना है कि वो पहले से खुद को ज्यादा बेहतर महसूस कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि वो खुद से ही बिस्तर पर आसानी से हिल भी सकते हैं। हालांकि, अभी खुद से चलने में दिक्कत हो रही है।
मीडिया से बात करते वक्त उन्होंने बताया कि कोरोना वायरस बेहद ही खतरनाक बीमारी है। जब उन्हें संक्रमित होने की जानकारी मिली, तो वे बेहद घबरा गए थे। डॉक्टर यी फैन का कहना है कि वे मनोवैज्ञानिक तरीके अपनाकर कोरोना से लड़ने में जुटे हुए हैं। उन्होंने दूसरों डॉक्टरों से खुद की काउंसलिंग करने के लिए भी कहा है। हालात स्थिर होने के बाद डॉक्टर यी अब सामान्य वार्ड में शिफ्ट कर दिया गया है।
हालांकि, डॉ. हु वाइफैंग की हालत में अभी कोई सुधार नहीं है। डॉक्टर हु वाइफैंग यूरोलॉजिस्ट हैं और वो पिछले 99 दिनों से अस्पताल में भर्ती हैं। उन्हें अभी भी आईसीयू में रखा गया है। वे उसी अस्पताल में भर्ती हैं, जहां डॉक्टर हु को रखा गया है। त्वचा का रंग बदल जाने को लेकर डॉक्टर ली को संदेह है कि इसके पीछे इलाज के शुरुआत में दी जाने वाली दवाइयां हो सकती हैं। उनका कहना है कि शायद दोनों डॉक्टरों के लिवर ठीक हो जाने के बाद उनकी त्वचा का रंग भी ठीक हो जाएगा।