राजसत्ता एक्सप्रेस डेस्क: रमज़ान के दिनों में कोरोना टेस्ट के लिए सेम्पल देने से क्या रोज़ा टूट जाएगा। मुसलामानों के बीच ये सवाल इनदिनों काफी अहम् हो गया है। दारुल उलूम देवबंद ने इस बारे में भ्रम की स्थित को ख़त्म कर दिया है, देवबंद के इफ़्ता विभाग में शामिल मुफ्तियों ने फतवा दिया है कि रोज़े की हालत में कोरोना टेस्ट के लिए नाक या मुंह से कोरोना टेस्ट के लिए सेम्पल देना बिलकुल जायज़ है। इससे इंसान का रोज़ा नहीं टूटता।
दरअसल मुस्लिमों के बीच गहराई इस सवाल को लेकर बिजनौर के स्योहरा निवासी अरशद अली ने देवबंद से फतवा माँगा था। अरशद तंज़ीम दावतो सिदक नामक संगठन के संचालक हैं। दारुल उलूम के इफ्ता विभाग से उनका सवाल था कि रोज़े की हालत में कोरोना टेस्ट करवाने के लिए क्या हुक्म है, इस्लाम की रौशनी में क्या माना जाए -इससे रोजा तो नहीं टूटेगा। जवाब में मुफ्तियों के पैनल ने कहा कि कोरोना के टेस्ट के लिए हलक (मुंह) या नाक में रुई लगी जो स्टिक डाली जाती है, उस पर कोई केमिकल या दवा लगी नहीं होती। यह एक बार ही मुंह में डाली जाती है। उस पर मुंह से जो गीला अंश (स्वैब)लगता है, उसकी जांच मशीन के जरिए होती है। ऐसे हालत में कोरोना टेस्ट कराने से रोजा नहीं टूटेगा। मुंह आदि में स्टिक देने से रोजे पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा।
वहीं, कोरोना टेस्ट कराने को लेकर दारुल उलूम के फतवे पर तंजीम अब्ना-ए-दारुल उलूम के अध्यक्ष मुफ्ती यादे इलाही कासमी ने मीडिया कि आज जैसे हालात में यह फतवा बेहद अहम है क्योंकि टेस्ट कराने वाले लोगों को यह बात परेशान कर रही थी कि इस अमल में कहीं उनका रोजा न टूट जाए, लेकिन दारुल उलूम के मुफ्तियों ने रहनुमाई कर उनके इस डर को दूर कर दिया।
सेनिटाइज़र को लेकर भी उठा था सवाल
उल्लेखनीय है की इससे पहले सेनिटाइज़र के इस्तेमाल को लेकर भी मुस्लिमों के बीच संकोच देखा गया था। दरअसल कोरोना वायरस के खात्मे के लिए 70 फीसदी तक अल्कोहल युक्त सेनिटाइज़रकी सलाह दी जाती है। और, इस्लाम में शराब यानी अल्कोहल हराम है। इस मुद्दे पर अधिकाँश ने बीमारी से लड़ने केलिए हाथों पर सेनिटाइज़र के इस्तेमाल को गलत नहीं बताया गया था।