नई दिल्ली, राजसत्ता एक्सप्रेस। बॉलीवुड की जानी-मानी हस्तियों में से एक ऋषि कपूर का आज गुरुवार की सुबह निधन हो गया। अपने अभिनय कौशल से दशकों तक लोगों के दिलों पर राज करने वाले ऋषि कपूर जीवन के आखिरी पलों में भी डॉक्टर्स और मेडिकल स्टाफ का मनोरंजन करते रहे। वे दो सालों से ल्यूकेमिया से जंग लड़ रहे थे। ऋषि कपूर इस घातक कैंसर का इलाज करवाने के लिए 2018 से करीब एक साल से ज्यादा वक्त तक न्यूयार्क में रहे। फरवरी में स्वास्थ्य कारणों के चलते ऋषि कपूर को दो बार अस्पताल में भर्ती कराया गया था। यह बीमारी कैंसर का ऐसा रूप है जो शरीर के उस हिस्से को प्रभावित करती है, जहां से हमें बाहरी संक्रमण से लड़ने की ताकत मिलती है।
ल्यूकेमिया कैसे शरीर को कर देता है कमजोर
ल्यूकेमिया एक प्रकार का ब्लड कैंसर होता है। खून में रेड ब्लड सेल, व्हाइट ब्लड सेल और प्लेटलेट्स होते हैं। इनमें से व्हाइट ब्लड सेल्स, जो शरीर को संक्रमण से लड़ने में मदद करते हैं, ल्यूकेमिया से सबसे ज्यादा यही प्रभावित होते हैं। इससे इनकी संख्या बढ़ने लगती है और ये असामान्य हो जाते हैं, जिन्हें ल्यूकेमिक सेल कहा जाता है। इससे शरीर में टिश्यूज को ऑक्सीजन पहुंचाने वाले रेड ब्लड सेल और प्लेटलेट्स की भी कमी होने लगती है। ल्यूकेमिया मरीज में वाइट ब्लड सेल के असामान्य हो जाने के कारण शरीर में बाहरी संक्रमण से लड़ने की क्षमता क्षीण हो जाती है। शरीर दिन पर दिन कमजोर होता जाता है और अंतिम समय में शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता खत्म हो जाती है।
ये हैं सामान्य लक्षण
अभी तक कैंसर की बीमारी के कारण का पता नहीं चला है। मायोक्लिनिक डॉट नेट के अनुसार, यह बीमारी जेनेटिक व पर्यावरण के कारण होता है। इस बीमारी के सामान्य लक्षणों में बुखार, कमजोरी, भूख न लगना, काफी कमजोरी महसूस होना, त्वचा पर लाल धब्बे पड़ना और हड्डियों में दर्द होना।
ल्यूकेमिया के कारण
वैसे तो अभी किसी भी स्टडी में यह स्पष्ट नहीं हो सका है कि ल्येकेमिया किन कारणों से होता है। आमतौर पर डॉक्टर यही बताते हैं कि ल्यूकेमिया ध्रूपमान करने, अधिक मात्रा में सफेद ब्लड सेल्स बनने, दवाई का साइड-इफेक्ट्स होने, कीमोथेरेपी या रेडिएशन थेरेपी का साइड-इफेक्ट्स होने और परिवार में किसी दूसरे व्यक्ति को ल्यूकेमिया (जेनेटिक डिसऑर्डर) होने से हो सकता है।